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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 62 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-63

विषय - "ख़ंजर"

आयोजन की अवधि- 08 जनवरी 2016, दिन शुक्रवार से 09 जनवरी 2016, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 08 जनवरी 2016, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

दोनो हाइकु 

पसंद खूब आए

मन को भाये  

प्रस्तुति छोटी है लेकिन बड़ी ही सुन्दर है।
दिल की बातें
हाइकू के नाव पे
असरदार -------

आप पहली बार इस आयोजन का हिस्सा बनी ,ये हम सबके लिए ख़ुशी की बात है। अगली बार आपके तरफ से बड़े पैकेट का इंतज़ार रहेगा। बधाई स्वीकार करें आदरणीया शान्ति जी।

प्रदत विषय पर बहुत सुंदर हाइकू सृजित हुए हैं। हार्दिक बधाई आदरणीया शांति जी। 

अतुकांत आधुनिक कविता ----

चहूँ ओर नफ़रत
नाहक ग़ैरो पर वार
क्रोधाग्नि के घाव
प्रतिशोध की चिंगारी
निंदा और धिक्कार
व्यर्थ की उलझन
तेजाब छिड़कते
मटमैले मन
दौलत का लालच
बिकने को तैयार
सब बैठे 
अंगार बिछा कर
जिस ओर देखो
द्वेष,घृणा के खंज़र

मौलिक एंव अप्रकाशित

ओ बी ओ पर प्रथम प्रयास

चंद पंक्तियों में आज के हालात का सम्पूर्ण चित्र खींच दिया आपने कविता में ..बहुत- बहुत बधाई नयना जी |

आ. राजेश कुमारी जी बडे डरते-डरते  पहली बार रचना पोस्ट की थी . आपको पसंद आयी आभार आपका

मोहतरमा नयना साहिबा आदाब,बहुत सुंदर लगी आपकी "आधुनिक कविता",बधाई हो,लेकिन इसमें नया क्या हे?बताने का कष्ट करें |

आदरणिय समीर कबीर जी इसमे नया तो कुछ नही नया है मेरी पहली उपस्थिती इस महाउत्सव में.आप रचना पर आए यही से उत्साह्वर्धन की शुरुआत

मोहतरमा नैना साहिबा  ,    अच्छी प्रस्तुति के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

     

आभार आदरणिय तस्दिक अहमद जी

सुस्वागतम आदरणीया जी। गागर में सागर अभिव्यक्ति के साथ सहभागिता के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीया नयना (आरती) कानिटकर जी। अन्य रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

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"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
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