For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-136

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 136वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब निदा फ़ाज़ली साहब की गजल से लिया गया है|

"एक ज़रा सी ज़िद ने आख़िर दोनों को बरबाद किया "

  22   22    22    22    22   22   22   2 (कुल जमा 30 मात्राएं)

 

 फ़ेलुन     फ़ेलुन     फ़ेलुन     फ़ेलुन     फ़ेलुन     फ़ेलुन     फ़ेलुन     फ़ा

बह्र:  मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ (बह्रे मीर)

 

रदीफ़ :-  किया
काफिया :- आद( आबाद, शाद, इजाद, उस्ताद, आज़ाद, फरियाद, ईजाद, फौलाद आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 अक्टूबर दिन गुरुवार  को हो जाएगी और दिनांक 29 अक्टूबर  दिन शुक्रवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 अक्टूबर दिन गुरूवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8640

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय नाहक जी सादर प्रणाम, 

अपने अपने मैं को लेकर वो भी चुप थे हम भी चुप

एक ज़रा सी ज़िद ने आख़िर दोनों को बरबाद किया। 

बहुत ही सुंदर गज़ल, हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

जनाब दण्डपाणि 'नाहक़' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय दंड पानी नाहक जी अच्छी ग़ज़ल कहने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

अपने अपने मैं को लेकर वो भी चुप थे हम भी चुप
'एक ज़रा सी ज़िद ने आख़िर दोनों को बर्बाद किया '...... बहुत ही खूबसूरत शेर।

आदरणीय दण्डपाणि नाहक़ जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, गिरह ख़ूब लगी है, बधाई स्वीकार करें। 

'उनकी शोख़ नज़र ने कैसे हमको भी मिक़्ताद किया'   यहाँ 'मिक़्ताद' को किन अर्थों में प्रयोग किया गया है?  सादर। 

//हिन्दी-उर्दू शब्दकोष जो देवनागरी में हो बताएं तो कृपा होगी!//

आदरणीय दण्डपाणि जी मैं तो उर्दू लुग़ात ही देखता हूँ, देवनागरी में कोई मोतबर हिन्दी-उर्दू शब्दकोष मुझे तो नहीं मिला। सादर।

आ. भाई दण्डपाणि जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

आ. दण्डपाणि जी,

अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई।

मतले के मिसरों में रब्त कम लगा।

हिचकी वाला शेर अच्छा हुआ है।

गिरह भी उम्दा लगी है।

बहुत बहुत बधाई

आदरणीय भाई   dandpani nahak  जी
आदाब
बहुत उम्दा तरही ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ स्वीकारें.

दंड पाणि जी अच्छी ग़ज़ल की मुबारक़ बाद क़बूल करें .

आ नाहक जी खूब ग़ज़ल हुई

बधाई स्वीकार करें

22 22 22 22 22 22 22 2
ग़म से छुटकारा पाने को रूह ने जब फ़रियाद किया
ख़ुश रहने की ख़ातिर मैंने तरीका ये ईजाद किया।1

कार-ए-दुनिया से अब मैंने ख़ुद को है आज़ाद किया।
क़ैद हुए यादों में तेरी कमरे को आबाद किया।2

झूठ का कारोबार बढ़ा सच्चाई की सुनवाई नहीं
शोर मचाता झूठ चला जब सच को किसने याद किया।3

पूछो मत मुझसे कैसे वो तन्हा शाम गुजारी है
याद तुझे ही मैंने सुन तेरे जाने के बाद किया।4

लफ्ज़ इज़ाज़त लेके तुझसे ग़ज़ल में मेरी सजते हैं
फिर महफ़िल को देखो मैंने इन ग़ज़लों से शाद किया।5

बह्र ग़ज़ल की मैंने यारो मुश्किल से यूँ सीखी है
ख़ुद ही पढ़कर समझा सबकुछ ख़ुद को है उस्ताद किया।6

डर कर कब तक जीना ऐसे, मरना भी है सबको "रिया"
टकराने को हर मुश्किल से ख़ुद को है फ़ौलाद किया।7

गिरह-

हम दिल को और ये दिल हमको आज तलक समझे ही नहीं

एक ज़रा सी ज़िद ने आख़िर दोनों को बर्बाद किया।

"मौलिक व अप्रकाशित"

ग़ज़ल के मतले में फ़रियाद शायद उचित नहीं,
इरशाद, उसकी जगह पे पढ़ा जाए।

बाद शायद सौती काफ़िया है, इससे बचना चाहिए 

इसलिये 4th का सानी ऐसे पढ़ा जाए।सादर

तेरी यादों में ख़ुश रहकर दिल को अपने शाद किया।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | गेयता के संबंध में आप सही हैं| "
41 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र को बहुत शाब्दिक किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
44 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को महाकुम्भ से जोड़कर आपने बहुत सुन्दर…"
50 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी बहुत ही सुन्दर तरीके से हर पद में तुकांतता का ध्यान रखते हुए मनहरण घनाक्षरी की…"
53 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, मैंने सायास प्रदत्त चित्र को कुम्भ से जोड़ने…"
58 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, मेरे प्रस्तुत कवित्त पर कवित्त में प्रतिक्रिया पाना मेरा सौभाग्य…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"  जी ! सादर प्रणाम. "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   लगता न पल एक, शंख कोई फूँक दे तो, सोते  सनातनियों  को, कभी …"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी,  चार पंक्ति में ही कुंभ का दृश्य सामने आ गया| हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। छंदों पर आपकी उपस्थिति व कमियों को उजागर करने के लिए आभार। इस छंद…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  चित्र  पर बहुत कुछ लिख गए | प्रयास सराहनीय है | पर छंद के नियमों का…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service