For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ८५

२२१२ १२१२ २२१२ १२

हस्ती का मरहला सभी इक इक गुज़र गया
मैं भी तमाशा बीन था, अपने ही घर गया //१

इश्वागरी के खेल से मैं यूँ अफ़र गया
सारा जुनूने आशिक़ी सर से उतर गया //२

खोया न मैं हवास को आई जो नफ़्से मौत
ज़िंदा हुआ मशामे जाँ, मैं जबकि मर गया //३

हैराँ हूँ अपने शौक़ की तब्दीलियों पे मैं
नश्शा था तेरे हुस्न का, कैसे उतर गया //४

सस्ते में दामे बूद से मुझको मिली नज़ात
छूटा गिरफ़्ते ख़ुद से मैं तो अल हज़र गया //५

ख़िल्वत में मुझसे यूँ हुआ मुतलक़ वो हमगुजीं
आया था वक़्त शब लिए, पर बे सहर गया //६

रहता है जामे सुब्ह का ज्यों देर तक ख़ुमार
मुद्दत में पहले प्यार का दिल से असर गया //७

जो भी ज़रब मिली मुझे अपनों से ही मिली
ग़ैरों से मिलने बेवजह सीना सिपर गया //८

अफ़साना अपने प्यार का बादल सा था ख़फ़ीफ़
बारिश की ठंढी बूँद में गिरकर बिखर गया //९

मेरी ख़ुदी के हिफ्ज़ का जिम्मा था दिल के सर
सय्याद बनके मेरे ही डैने क़तर गया //१०

ज़ाहिद हुआ यूँ 'राज़' मैं करके किसी से इश्क़
लेके ख़ुदा के घर भी मैं जाज़िब नज़र गया //११

~राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

इश्वागरी - हाव-भाव दिखाने की मुद्रा; नफ़्से मौत- मृत्यु का क्षण; मशामे जाँ- आत्मा; दामे बूद- अस्तित्व की क़ैद; नज़ात- छुटकारा; अल हज़र- ख़ुदा की पनाह; ख़िल्वत- एकांत; मुतलक़- नितांत, बिलकुल; ज़रब- चोट, ज़ख्म; सीना सिपर- छाती का सुरक्षा कवच; ख़फ़ीफ़- हल्का; हिफ्ज़- सुरक्षा; जाहिद- ऋषि, ब्रह्मचारी; जाज़िब नज़र- आकर्षक दृष्टि;


Views: 594

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on December 25, 2018 at 2:02pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया. 

Comment by राज़ नवादवी on December 25, 2018 at 2:01pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया. 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 22, 2018 at 12:00pm

वाह राज साहब बेहतरीन ग़ज़लकारी...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2018 at 12:08pm

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by राज़ नवादवी on December 21, 2018 at 9:07am

आदरणीय छोटेलाल सिंह साहब, आदाब। ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफजाई का तहे दिल से शुक्रिया

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on December 19, 2018 at 9:01am

आदरणीय राज नवादवी साहब बहुत ही जीवंत रचना है हार्दिक बधाई कुबूल कीजियेगा

Comment by राज़ नवादवी on December 18, 2018 at 3:32pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब अर्ज़ है. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 18, 2018 at 2:45pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service