'दूरदृष्टि'
"बच्चा ऑपरेशन से ही होगा, और कोई ऑप्शन नहीं है। यही कहा था न आपने! क्या सिर्फ कुछ ज्यादा रुपयों के चक्कर में?" उसकी आवाज में झलकता आवेश सहज ही महसूस हो रहा था। बीती रात ही डॉ. कामना ने नर्सिंग होम में भर्ती हुई कावेरी को उसकी नाजुक हालत के देखते ऑपरेशन की सलाह दी थी। लेकिन किसी आपात स्थिति के चलते उसे ख़ुद अपना चार्ज डॉ.अनु को देकर जाना पड़ा था। और अनु के चार्ज में बिना ऑपरेशन के ही सामान्य डिलीवरी का होना ही उसके आवेश में आने की के लिये पर्याप्त था। "देखिये, ये कोई बड़ी बात नहीं हैं। अक्सर कुछ केस में ऐसा हो जाता है। आप को तो ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए कि बिना किसी बड़ी परेशानी के सब ठीक हो गया।" उसने कावेरी को तो समझा-बुझाकर शांत कर दिया, लेकिन वह ख़ुद शांत नहीं हो सकी। हैरान थी कि आखिर अनु ने ऐसा क्या किया जो इतने जटिल केस में भी प्रसव सामान्य ढंग से हो गया और जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य भी रहे। उत्सुकतावश उसने केस फ़ाइल उठाकर रिपोर्ट पढ़नी शुरू कर दी। रिपोर्ट पढ़ते-पढ़ते अनायास ही उसकी आँखें चमक उठी। "गुड मॉर्निंग....., सॉरी मैम!" उसके हाथों में केस फ़ाइल देखकर सामने आ खड़ी अनु के मुख से दोनों शब्द एक साथ ही निकले। "अनु, क्या तुम्हें फैसला लेने से पहले मुझे इन्फॉर्म नहीं करना चाहिए था?" उसका स्वर गंभीर था। "जी मैम, 'वाटर थेरेपी' और लेबर रूम में कावेरी के पति की एंट्री के लिये मुझे आप को जरूर बताना चाहिए था लेकिन समय.....!" "अनु!" उसने उसकी बात काट दी थी। तुम्हें पता हैं, 'बर्थ कम्पेनियन' और 'हाइड्रोथेरेपी' ऐसे कन्सेप्ट है जो अभी हमारे समाज में मान्य नहीं हैं। अगर कुछ अनहोनी हो जाती तो?" "मैम आपने ही सिखाया है कि आत्मविश्वास और दूरदृष्टि भी हमारे प्रोफेशन के सबसे महत्वपूर्ण औजार है जो पेशेंट को जीवन दे सकते है। फिर भी यदि आप सहमत नहीं है तो 'इन फ़्यूचर' मैं दोबारा ये काम.....!" "नहीं! अब ये काम तुम्हें आगे भी करना होगा, क्योंकि मैं आज से ही अपने नसिंग होम में ये कन्सेप्ट लागू करने जा रही हूं।" कहते हुये डॉ कामना ने मुस्करा आशीर्वाद भरा हाथ अनु के सिर पर रख दिया।
(मौलिक व अप्रसारित) विरेंदर 'वीर' मेहता
Comment
आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी बहुत ही सुन्दर लघुकथा लिखी। बधाई स्वीकार करें।
सकारात्मकता लिए बेहतरीन समापन के साथ बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता साहिब। इसे किसी दूसरे तरीक़े (केवल संवादात्मक आदि) से भी लिख कर देखा जा सकता है मेरे विचार से।
बहुत ही सुंदर रचना है बधाई स्वीकारें
आ. भाई वीरेंद्र जी अच्छी कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।
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