For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये

221 1221 1221 212

गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।
अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।

भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।
कितना  गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।।

मत  सेंकिए  ये रोटियां नफरत की आग पर ।
अम्नो सुकूँ के वास्ते फ़रमान कीजिये ।।

अब रोजियों के नाम भी हो जाए इंतजाम ।
कुछ तो किसी की राह को आसान कीजिये ।।

अपने ही उसूलों को मिटाने लगे हैं अब ।
कुर्सी के लिए आप न विषपान कीजिये ।।

ये फिक्र हमें भी है कि आबाद हो चमन ।
पैदा न वतन में कोई तूफ़ान कीजिये ।।

क़ातिल बना के छोड़ दिया आपने हुजूऱ ।
इंसान की औलाद को इंसान कीजिये ।।

जुड़ता कहाँ है दिल ये कभी टूटने के बाद ।
मुझको  न अभी  और  परेशान कीजिये ।।

उम्मीद मुझे कुछ नहीं है आप से जनाब ।
हक जो मेरा था शौक से कुर्बान कीजिये ।।

बदलेगी हुकूमत भी ज़माने के साथ साथ ।
छोटा न अभी आप ये अरमान कीजिये ।।

उनको जमी पे लाने का है वक्त आ गया ।
अब फैसलों पे आप भी मतदान कीजिये ।।

      ---नवीन मणि त्रिपाठी

 मौलिक अप्रकाशित 

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 1, 2018 at 11:17pm

आ0 दयाराम मैथानी साहब तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।

Comment by Dayaram Methani on December 1, 2018 at 10:51pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, बहुत सुंदर गज़ल कही है। बधाई स्वीकार करें। निम्न शेर बहुत पसंद आया।...

ये फिक्र हमें भी है कि आबाद हो चमन ।
पैदा न वतन में कोई तूफ़ान कीजिये ।।

Comment by राज़ नवादवी on December 1, 2018 at 11:40am

वाह वाह, बहुत ख़ूब, आदरणीय नवीन शंकर त्रिपाठी जी, सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति पे दाद के साथ बधाई. सादर. 

गर हो सके तो मुल्क पे अहसान कीजिये ।।
अब और न हिन्दू न मुसलमान कीजिये ।।

भगवान को भी बांट रहे आप जात में ।
कितना  गिरे हैं सोच के अनुमान कीजिये ।। क्या कहने. वाह वाह 

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 1, 2018 at 11:21am

आ0 कबीर सर नई बह्र पर आप ने गौर किया और ग़ज़ल को चेक इसके लिए शत शत आभार और नमन ।

Comment by Samar kabeer on December 1, 2018 at 11:06am

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ख़ुद साख़ता(अपने बनाये)अरकान पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,इस प्रयोग के लिए बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Jan 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service