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जर्जर तेरा महल हुआ है

बासी आबोदाना 
रूह का पाखी बोल रहा चल 
बदलें आज ठिकाना 

कोने कोने जाल मकड़िया
ढहने को तैयार दुकड़िया
ईंटें होती नंगी सारी
गारे की भी  तंगी भारी 
गाटर हुआ पुराना

पसरी आँगन बीच उदासी
जमी हुई हैं सभी निकासी
धूप हवा आती डर डर कर 
धीमे धीमे ठहर ठहर कर 
संकरा हुआ मुहाना

बंद सुराही जल पीने की
टूटी सब पैड़ी जीने की 
खम्बे बम्बे झूल रहे हैं 
बोझ उठाना भूल रहे हैं 
अब घर नया बसाना 

धुँधले सारे चाँद सितारे 
टूटी लय टूटे सुर सारे 
पूर्ण हुआ जीवन सँगीत रे 
दिल की खिड़की खोल 
मीत रे
मुझे अभी है जाना 


रूह का पाखी बोल रहा चल 
बदलें आज ठिकाना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:39pm

आद० बृज जी आपका बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:38pm

आद० रामबली गुप्ता जी नवगीत आपको पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ .आपने सही सोचा रूह शब्द में गायन के हिसाब से भी ह की मात्रा गिरकर ही गाया जाता है इसी के अंतर्गत ये छूट ली है मकड़िया दुकडिया थर्ड दर्जे की तुकांतता हो सकती है किन्तु यहाँ गीत की डिमांड के अनुसार रखनी पड़ी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:33pm

आद० अजय तिवारी जी आपका दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:32pm

आद० मोहम्मद आरिफ जी आपको नवगीत पसंद आया आपने इसे गाकर भी देखा मेरा गीत सच में धन्य हो गया .आपका दिल से बहुत बहुत आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 19, 2018 at 10:31pm

आद० समर भाई जी आपको ये नवगीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार आपका .

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 26, 2018 at 8:07pm

वाह आदरणीया बहुत ही सुन्दर गीत हुआ..बधाई

Comment by रामबली गुप्ता on October 26, 2018 at 5:10pm

सुंदर नवगीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय बहना राजेश कुमारी जी।

मुखड़े के द्वितीय पड़ में 'रूह का पाखी' में लय बनाने के लिए मात्रापतन लिया गया है। शायद नवगीत में मात्रापतन की छूट होती है। मकड़िया और दुकड़िया में तुकांतता ठीक तो है न?

Comment by Ajay Tiwari on October 26, 2018 at 5:02pm

आदरणीया राजेश जी, एक और खूबसूरत गीत-प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by Mohammed Arif on October 26, 2018 at 11:11am

आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,

                               नए-नए बिम्बों और प्रतीकों से सुसज्जित लाजवाब नवगीत की सौगात के लिए लख-लख बधाइयाँ । इस गीत को मैं कई बार गुनगुना चुका हूँ ।

Comment by Samar kabeer on October 25, 2018 at 3:47pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा नवगीत हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

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