For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...आँख से लाली गई ना पांव से छाले गये-बृजेश कुमार 'ब्रज'

2122 2122 2122 212
दर्द दिल के आशियाँ में इस क़दर पाले गये
आँख से लाली गई ना पांव से छाले गये

रोटियों से भूख की इतनी अदावत बढ़ गई
पेट में सूखे निवाले ठूंस के डाले गये

इस क़दर उलझे हुये हैं आलम-ए-तन्हाई में
मकड़ियां यादों की चल दी भाव के जाले गये

मुफ़लिसी की आँधियाँ थीं याद के थे खंडहर
नीव भी कमजोर थी सो टूट सब आले गये

ख़्वाब की आँखों से 'ब्रज' घटती नहीं हैं दूरियां
बात दीगर है सभी पलकों तले पाले गये
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 7, 2018 at 3:44pm

हार्दिक आभार आदरणीय त्रिपाठी जी...

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 6, 2018 at 4:45pm

वाह 

बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई बधाई  आपको ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 3, 2018 at 11:02pm

उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 3, 2018 at 11:01pm

स्वागत संग आभार आदरणीय मोहित जी...

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 3, 2018 at 11:03am

अच्छी ग़ज़ल हुई है आ. बृजेश जी..
आप  को बहुत बधाई..
सादर 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 2, 2018 at 6:08pm

आभार संग नमन आदरणीय लक्ष्मण धामी जी...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2018 at 4:46pm

आ. भाई ब्रजेश जी, उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 30, 2018 at 9:19pm

आदरणीय समर कबीर जी आपकी टिप्पड़ी से अति प्रसन्नता का अनुभव हुआ..आपका हार्दिक आभार..स्नेह बनाये रखें

Comment by Samar kabeer on April 30, 2018 at 6:33pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service