For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रपात.....

मौन
बोलता रहा
शोर
खामोश रहा
भाव
अबोध से
बालू रेत में
घर बनाते रहे

न तुम पढ़ सकी
न मैं पढ़ सका
भाषा
प्रणय स्पंदनों की
आँखों में


भला पढ़ते भी कैसे
ये शहर तो
आंसूओं का था

घरोंदा
रेत का
ढह गया
भावों को समेटे
आँसुओं के
प्रपात से


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 435

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 19, 2018 at 12:26pm

आदरणीय नीलेश जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on April 19, 2018 at 12:26pm

आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 19, 2018 at 12:24pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2018 at 8:02pm

आ. सुशिल जी,
भावपूर्ण रचना के लिए बधाई 
सादर 

Comment by Neelam Upadhyaya on April 18, 2018 at 10:39am

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत सुंदर कविता ।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on April 17, 2018 at 8:18pm

आदरणीय सुशील सरना जी कम से कम शब्दों में आपने प्राण फूँक दिया बहुत अनमोल बात कह दी इसके लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Sushil Sarna on April 17, 2018 at 6:46pm

आदरणीय समर कबीर साहिब , आदाब , प्रस्तुति के भावों को अपने आत्मीय स्नेह से पोषित करने का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on April 17, 2018 at 6:46pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on April 17, 2018 at 6:08pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब, उम्दा कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 17, 2018 at 12:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत सुंदर और समसामयिक कविता।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
14 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service