For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है बड़ा अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए

2122 2122 2122 212
ढूढते हैं वो बहाना रूठ जाने के लिए ।।
है बहुत अच्छा तरीका ज़ुल्म ढाने के लिए ।।

इक तेरा मासूम चेहरा इक मेरी दीवानगी ।
रह गईं यादें फकत शायद मिटाने के लिए ।।

फिर वही क़ातिल निगाहें और अदायें आपकी।
याद आयी हैं हमारा दिल जलाने के लिए ।।

घर मेरा रोशन है अब भी आपके जाने के बाद ।
हैं चरागे ग़म यहाँ घर जगमगाने के लिए ।।

चैन से मैं सो रहा था कब्र में अपनी तो क्यों ।
तुम यहाँ भी आ गए मुझको सताने के लिए ।।

ये समंदर चल पड़ा लेने उसे आगोश में ।
उठ रहीं लहरें बहुत दरिया को पाने के लिए ।।

शक़ की बुनियादों पे कोई ताज कायम कब रहा ।
आशिकी होती कहाँ है आजमाने के लिए ।।

हो गया कुर्बान वो मजबूरियों के नाम पर ।
कौन जीना चाहता है मुँह छुपाने के लिए ।।

इश्क़ में तू डूब लेकिन याद रख इतना सबक़ ।
लोग मिलते हैं यहाँ ख़्वाहिश जताने के लिए ।।

इस तरह तपती हुई प्यासी जमीं को देखकर ।
आ रहे बादल यहाँ कुछ दिन बिताने के लिए ।।

बारिशों के दौर में अब हो गए चेहरे हरे ।
है किसी मधुमास का यौवन रिझाने के लिए ।।

नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अ प्रकाशित

Views: 732

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 18, 2017 at 7:47pm

आ0 कबीर सर नमन । अपने जो शेर भेजा है उसमें यां शब्द न तो हिंदी है न उर्दू है । आज के डेट में यां वां आदि शब्द ग़ज़ल में वर्जित कर दिए गये हैं । ऐसा सुना है ।

Comment by Samar kabeer on December 18, 2017 at 2:15pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

दूसरे शैर के सानी में 'शायद'शब्द भर्ती का है, इसकी जगह 'मुझको' कर सकते हैं ।

'चैन से मैं सो रहा था क़ब्र में अपनी तो क्यों

तुम यहाँ भी आ गए मुझको सताने के लिए'

ये शैर पढ़कर किसी का पुराना शैर याद आ गया:-

"सोया हुआ था चैन से ओढ़े कफ़न मज़ार में

याँ भी सताने आ गए किसने पता बता दिया"

सातवें शैर के ऊला में ऐब-ए-तनाफ़ुर है 'शक की' ।

11वे शैर में 'चेहरे' नहीं चहरे, पहले भी बता चुका हूँ ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 17, 2017 at 6:45pm

खूबसूरत ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी....

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 17, 2017 at 5:53pm

आदरणीय नवीनमणि जी  इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिये | बहु उम्दा 

Comment by Mohammed Arif on December 17, 2017 at 7:51am

आदरणीय नवीनमणि त्रिपाठी जी आदाब,

                                बेहतरीन अश'आरों से सजी ग़ज़ल । हर शे'र बढ़िया । दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on December 16, 2017 at 6:46pm

लाज़बाब ग़ज़ल  आदर्णीय त्रिपाठी जी. बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service