For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (अपनी तक़दीर फिर आज़माएँगे हम )

ग़ज़ल (अपनी तक़दीर फिर आज़माएँगे हम )

-----------------------------------------------------

(फ़ाइलुन -फ़ाइलुन -फ़ाइलुन -फ़ाइलुन)

 

अपनी तक़दीर फिर आज़माएँगे हम |

उनके कुचे से वापस न जाएँगे हम |

 

ज़ुल्म कितने भी ढा ले सितमगार तू

ग़म के हर दौर में मुस्कराएँगे हम |

 

आपको तो अज़ीज़ों से फ़ुर्सत नहीं

किस तरह हाल दिल का सुनाएँगे हम |

 

जब भी मिलता है देता है वो ज़ख़्मे नौ

दस्त उलफत का कब तक मिलाएँगे हम |

 

जब तअस्सुब की आँधी चलाएँगे वो

तब चरागे मुहब्बत जलाएँगे हम |

 

हाकिमे वक़्त आवाज़ ,हक़ के लिए

चाहे अंजाम कुछ हो उठाएँगे हम |

 

वक़्ते रुखसत है सीने से लग जाइए

लौट कर अब न तस्दीक़ आएँगे हम |

 

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 723

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2017 at 9:33am
जनाब अफ़रोज़ सहर साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Afroz 'sahr' on September 18, 2017 at 2:32pm
आदरणीय तस्दीक़ जी ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दाद पेश करता हूँ ! कुबूल करें !
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 18, 2017 at 1:17pm

मुहतरम जनाब  समर कबीर  साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया      

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 18, 2017 at 1:16pm

 जनाब  ब्रजेश कुमार  साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया      

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 18, 2017 at 1:15pm

मुहतरम जनाब  गिरिराज साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया      

Comment by Samar kabeer on September 17, 2017 at 11:15pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 16, 2017 at 7:57pm
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय..हर एक शेर लाजबाब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 16, 2017 at 6:10pm

बहुत खूब , आदरणीय तस्दीक भाई , ग़ज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 16, 2017 at 6:02pm
मुहतरम जनाब शकूर साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 16, 2017 at 6:00pm
जनाब नीलेश नूर साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया। ध्यान दिलाने का शुक्रिया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service