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नेम प्लेट ...

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कुछ देर बाद
मिल जाऊंगा मैं
मिट्टी में
पर
देखो
हटाई जा रही है
निर्जीव काल बेल के साथ
लटकी
मेरी ज़िंदा
मगर
उखड़े उखड़े अक्षरों की
एक अजीब सी
चुप्पी साधे
पुरानी सी 
नेम प्लेट

मुझसे पहले 

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on July 15, 2017 at 7:23pm

आदरणीय Mohammed Arif  जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार। 

Comment by Mohammed Arif on July 15, 2017 at 6:55pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, बहुत ही भावों की अभिव्यक्ति .। हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on July 15, 2017 at 3:36pm

आदरणीय रवि प्रभाकर जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार। 

Comment by Ravi Prabhakar on July 15, 2017 at 8:56am

वाह! बहुत बढ़ीया भाव उकेरे हैं आदरणीय । बधाई स्‍वीकारें ।

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