For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल
1222 1222 1222 1222

जो लड़कर आँधियों से जीत का इनआम लेता है
ज़माना फ़ख्र से उसका युगों तक नाम लेता है

सहारा जो यहाँ हर डूबते इन्सां का बन जाये
खुदा भी हाथ उसका मुश्किलों में थाम लेता है

दुआओं की कमी होती नहीं उसको कभी यारों
बज़ुर्गों का यहाँ जो हाल सुबहो-शाम लेता है

पता सबको है मुश्किल की घड़ी होती बहुत छोटी
कहाँ हर आदमी हिम्मत से लेकिन काम लेता है

खुदा को भी शिकायत होगी शायद अपने बन्दे से
कि वो है खुदग़रज़ दुख में ही उसका नाम लेता है

उसे होती नहीं है रास्ते की मुश्किलों की फ़िक्र
पहुँचकर ही जो मंज़िल पर 'बली' आराम लेता है

-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 938

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on July 6, 2017 at 4:32pm
सादर आभार ब्रजेश कुमार जी
Comment by रामबली गुप्ता on July 6, 2017 at 4:31pm
समर भाई साहब आपकी सराहना से लिखना सार्थक हुआ। आपका सुझाव भी विचारणीय है। हृदय से आभार आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए।
Comment by रामबली गुप्ता on July 6, 2017 at 4:29pm
शुक्रिया आद0 सुरेश कुमार जी
Comment by रामबली गुप्ता on July 6, 2017 at 4:28pm
प्रतिक्रिया और सराहना के लिए सादर धन्यवाद आद0 आरिफ़ जी
Comment by रक्षिता सिंह on July 5, 2017 at 4:46pm
बहुत खूबसूरत...✍
Comment by Sushil Sarna on July 5, 2017 at 2:54pm

नही सर पे दुआओं की कमी होती उसे यारों,
यहाँ माँ बाप का जो हाल सुबहो शाम लेता है।

बहुत सुंदर आदरणीय रामबली जी .... इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई सर।

Comment by नाथ सोनांचली on July 5, 2017 at 5:43am
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 4, 2017 at 9:38pm
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई सादर
Comment by Samar kabeer on July 4, 2017 at 2:34pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
पांचवें शैर के ऊला मिसरे में 'अपने बंदे से'की जगह "ऐसे बंदे से'करना उचित होगा ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on July 4, 2017 at 1:33pm
बहुत सुंदर रचना आदरणीय, हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service