For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपवाद(लघुकथा)राहिला

पूरे गाँव से कुल पंद्रह लोग ऐसे गरीब थे जो कि उस सरकारी योजना के तहत प्रथम दृष्टिया लाभान्वित होने योग्य थे ।और अब तक सात नियम ,शर्तों में सभी खरे भी उतर गए थे।
"आठवां नियम ,अब जरा ध्यान से सुनना मैं कुछ सामान गिनवा रहा हूँ यदि ये सामान आपके घर में हो तो हाथ उठा दियो ।"सेकेट्री की आवाज पंचायत भवन में गूंजी। उसने जैसे ही कुछ समान गिनवाये ।
"अरे ओ महाराज !जो सामान तो शादी सम्मेेलन से मोड़ा खों मिलो,तो का हम अमीर हो गये वा से।"
"काका!सिरकारी नियम हैं इसमें हम का कर सकें।" इस नियम के पढ़ते ही पंद्रह में से ग्यारह पात्र बचे।

"नौवां नियम यदि वार्षिक आय निम्नानुसार हो तो वह भी इस योजना के अंतर्गत नहीं आएगा ।"
"अरे तो खावे वाले मुँह भी तो बिलात हैं और कमाने वाला एक ।इतनी तनखा से मंहगाई में का हो रओ?" लेकिन नियम तो नियम था तो तीन बड़े परिवार वालों को मायूस होना पड़ा।
" फिर दसवां ,ग्यारहवां इसी तरह कुछ ही देर में तेरहवें नियम तक आते ,आते बैठे सभी पंद्रह गरीब ,अमीर हो गये ।

"लो इस योजना का तो आज खाता ही नहीं खुला ।"पास बैठे एक कर्मचारी ने सेकेट्री से कहा।
"खुलेगा साहब!खुलेगा ,जैसे सैंकड़ो अन्य योजनाओं का खुला है इसका भी खुलेगा ।अपवाद तो हर जगह होते है।" पान की पीक से दीवार रंगते हुए सेकेट्री बोला।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on July 11, 2017 at 6:59am
आदरणीय सभी वरिष्ठ सुधीजनों को मेरा नमस्कार, आप सब को रचना ठीक लगी ।इसके लिए सादर आभार ।शुक्रिया
Comment by Ravi Prabhakar on June 18, 2017 at 11:50am

भाषा की चुस्‍ती, उपयुक्‍त शब्‍दों का उपयुक्‍त स्‍थान पर प्रयोग, वाक्‍यों के संदर विन्‍यास से सुसज्‍िजत यह लघुकथा सरकारी तंत्र पर एक अर्थपूर्ण व तीक्ष्‍ण व्‍यंग्‍य कसने में पूर्णरूपेण सफल सिद्ध हुई है । लघुकथा सरीखी महीन विधा में चंद वाक्‍य कथा में प्राण फूँक सकने की क्षमता रखते है जैसा कि - अपवाद तो हर जगह होते है।" पान की पीक से दीवार रंगते हुए सेकेट्री बोला। इस वाक्‍य में 'पान की पीक से दीवार रंगते'  का कलात्‍मक प्रयोग लेखिका की कुशलता का द्योतक है। सादर शुभकामनाएं स्‍वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on June 10, 2017 at 10:02pm
आदरणीय राहिला जी आदाब,सरकारी योजनाओं ,अफ़सरों और भ्रष्टाचार पर अच्छा तंज़ । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । आदरणीय महेंद्र कुमार जी की बातों पर ग़ौर करें ।
Comment by Mahendra Kumar on June 10, 2017 at 5:05pm

आ. राहिला जी, सरकारी अफ़सर, योजनाओं और उससे जुड़े भ्रष्टाचार पर अच्छा व्यंग्य है. मेरी तरफ़ से इस उम्दा लघुकथा हेतु दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. 

दृष्टिया = दृष्ट्या

उसने जैसे ही कुछ सामान गिनवाये।

सेकेट्री = सेक्रेटरी

देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Sushil Sarna on June 9, 2017 at 3:13pm

आदरणीय राहिला जी सरकारी योजनाओं की आपने यथार्थ तस्वीर चित्रित की है। इस सार्थक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service