For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग्रीष्म के दोहे

सूरज शोले छोड़ता ,पशु भी ढूँढे छाँव ।
दर खिड़की सब बंद है ,सन्नाटे में गाँव ।।

भीषण गरमी पड़ रही,पशु -मानव हैरान ।
भू जल भी घटने लगा, साँसत में है जान ।।

पारा बढ़ता जा रहा, सूख रहे तालाब ।
देखो गाँव महानगर , हालत हुई खराब ।।

पत्ते झुलसे पेड़ पर ,नीम बबूल उदास ।
पशु किसान सबको लगी, पानी की अब आस ।।

.
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 870

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on May 15, 2017 at 5:44pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सतविंद्र कुमार जी । लेखन सार्थक हुआ ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 5:31pm
गर्मी से बेहाल थे,करते खूब बखान
दोहे सुन्दर आपके,ठंडक दे श्रीमान।
हार्दिक बधाई आदरणीय मो. आरिफ जी।
Comment by Mohammed Arif on May 15, 2017 at 11:40am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । लेखन सार्थक हुआ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2017 at 9:40am

आदरणीय आरिफ भाई , अच्छे दोहे रचे हैं .. हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Mohammed Arif on May 14, 2017 at 7:46am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 13, 2017 at 10:27pm
वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर सटीक दोहों का सृजन किया है..हार्दिक बधाई
Comment by Mohammed Arif on May 12, 2017 at 10:57pm
दोहों की सराहना और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अनुराग जी ।
Comment by Mohammed Arif on May 12, 2017 at 8:08am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह जी ।
Comment by नाथ सोनांचली on May 12, 2017 at 5:42am
जनाब मोहम्मद आरिफ साहिब सादर अभिवादन, ग्रीष्म कालीन अच्छे दोहे सृजित हुए हैं, बधाई आपको।
Comment by Mohammed Arif on May 11, 2017 at 6:37pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहब ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
8 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service