२१२२ ११२२ ११२२ २२/ ११२
ज़िंदगी तेरी उदासी का कोई राज भी है
तेरी आँखों में छुपा ख्वाब कोई आज भी है
पतझड़ों जैसा बिखरता है ये जीवन अपना
कोपलो जैसे नए सुख का ये आगाज भी है
गुनगुना लीजे कोई गीत अगर हों तन्हा
दिल की धड़कन भी है साँसों का हसीं साज भी है
वो खुदा अपने लिखे को ही बदलने के लिए
सबको देता है हुनर अलहदा अंदाज भी है
काम करना ही हमारा है इबादत रब की
इस इबादत में छिपा ज़िंदगी का राज भी है
कुछ कलम के यहाँ ऐसे भी पुजारी हैं हुए
सामने राजा ने जिनके दिया रख ताज भी है
काम करता जो बुरे लोग हैं नफरत करते
काम गर अच्छे करे तब तो कहें नाज भी है F-49
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत अंदाज
आदरणीय लक्ष्मण जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर धन्यवाद के साथ
आदरणीय रवि सर ..आप सबका मार्गदर्शन मिलने से अगले रचना में ये तो नहीं कहूँगा की गलती नहीं होगी लेकिन धीरे धीर गलतियों की ग़ज़ल ..ग़ज़ल में गलतियों तक जरूर अपना सफ़र तय करेगी ..पुराणी गलतियों पुनरावृत्ति न हो अगर सीखने वाले का अनुभव बढ़ता है तो ..नयी नयी गलतियों को पकड़ लेने का बिद्वत जनो का अनुभव भी उस समयावधि में और गहरा हो जाता है .आपका मार्गदर्शन मुझे यूं ही मिलता रहे इस कामना और सादर प्रणाम के साथ
आदरणीय समर सर ..आपका मुझे हर ग़ज़ल पर बेशकीमती सलाह देते हैं इस अद्भुत मंच की सीखने सिखाने की इस परंपरा में आप जैसे बिद्वत जन सिखाने और हम जैसे सीखने की परंपरा का निर्वहन कर रहे है आदरणीय सर मैं उर्दू हिंदी काफिया बंदी के बिषय में ध्यान देने की कोशिस पूरे मन से करूंगा यद्दपि थोडा कठिन हो जाता है आपके मशविरे के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर प्रणाम के साथ
पतझड़ों जैसा बिखरता है ये जीवन अपना
कोपलो जैसे नए सुख का ये आगाज भी है
आ० भाई आशुतोष जी सूंदर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई l
आदरणीय आश्ुातोष जी आपने हमारे कहे को मान दिया इसके लिये आभार ।अभी हम हिंदी के शब्द के अनुसार गजल कह रहे हे पर आदरणीय समर साहब का मश्विरा भी गौर करने लायक है उर्दू अल्फाज की जानकारी से गजल के कहन का हमारा दायरा भी बढ़ता है और उसमें नफासत भी आ जाती है । जितना हो सके उसके बारे में भी साथ साथ जानकारी लेते रहेंं । बाकी आपके प्रयास से आश्वस्ति हुई है ।
आदरणीय मनन जी रचना पर आपकी प्रतिक्रीय के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर धन्यवाद के साथ
आदरणीया राजेश जी रचना पर आपके प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय रवि सर के मार्गदर्शन के अनुरूप परिवर्तना करने की कोशिस की है सादर धन्यवाद के साथ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online