For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-पता अपना बता दे तू मुझे ऐ आसमाँ वाले।

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
मेरी तकदीर में लिख दे उसे ऐ आसमाँ वाले।
सिवा उसके मुझे कुछ भी न दे ऐ आसमाँ वाले।

मुझे उस शख़्स के दिल में बसा दे सिर्फ चाहे तू।
नसीबों के सभी सुख छीन ले ऐ आसमाँ वाले।

बिना तुझसे मिले समझा नहीं सकता तुझे अब मैं।
पता अपना बता दे तू मुझे ऐ आसमाँ वाले।

मुहब्बत के सफर में अब मुहब्बत के परिन्दें हो।
मिटा दे नफरतों के काफिले ऐ आसमाँ वाले।

न बस्ती में न जंगल में न सहरा में न उपवन में।
ये दिल मेरा न सावन में लगे ऐ आसमाँ वाले।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amod shrivastav (bindouri) on September 18, 2015 at 10:02am
सर मै विधा का जानकार नही हु
पर आप की गजल
मुझे बेहद सुन्दर लगी
शुरू से लेकर अंत तक
बेहद सुन्दर भाव थे
को कही टूटते नही लगे
खास आप का रदीफ़ लगा
ऐ आसमाँ वाले
दिल से बधाई नमन
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 3, 2015 at 9:19pm
आदरणीय मंच के सभी गुनीजनों का बहुत बहुत आभार । घर की समस्याओं के चलते कुछ नहीं कर पा रहा हूँ न ही मंच सनय दे पा रहा हूँ । आशा आदरणीय मंच मुझे क्षमा करेगा। सादर।
Comment by मोहन बेगोवाल on September 3, 2015 at 9:15pm

 आदरणीय राहुल जी, आप जी की ग़ज़ल के सभी अश'आर बहुत अच्छे लगे , खास कर ये शे'र बहुत कमाल का 

न बस्ती में न जंगल में न सहरा में न उपवन में, 

ये दिल मेरा न सावन में लगे ऐ आसमाँ वाले।- दाद कबूल करें 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 2, 2015 at 12:41pm

आदरणीय राहुल जी, बड़े ही ख़ूबसूरत अश’आर हुए हैं। दाद कुबूल कीजिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2015 at 11:01am

आदरणीय राहुल भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है , सभी शे र सुन्दर  लगे ! आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Ravi Shukla on September 1, 2015 at 11:17pm
आदरणीय राहुलजी सुन्दर ग़ज़ल हुई है
बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on September 1, 2015 at 7:07pm
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ....हार्दिक बधाई ! 
Comment by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 3:05pm
नमस्कार सर
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है
एक दो शेर और बढ़ा देगे
तो और बढ़िया लगेगा
और बहुत दिनों बाद आप आये
स्वागतम्
मेरे ब्लॉग पर एक दो रचनाये आपकी अनुस्थिति में मैंने डाली है
उम्मीद है आप उन्हें देखेगे
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service