For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-इन्हीं दो घरों की जवानी रही।

१२२ १२२ १२२ १२

तमाम उम्र जैसे दिवानी रही।
परेशान सी जिन्दगानी रही।।

ये' किस्मत है' मेरी मिलो इससे' तुम।
ये' गम की सदा राजधानी रही।।

कभी बेबसी तो कभी बेकली।
इन्हीं दो घरों की जवानी रही।।

गिरा फिर उठा फिर सदा गिर गया।
दुखी जिन्दगी की कहानी रही।।

सभी दासियाँ थी जिगर में सनम।
फकत आपकी याद रानी रही।।

ये' माना कि 'राहुल' अभी कुछ नहीं ।
मगर बात उसकी सयानी रही।।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on August 4, 2015 at 10:12am
आदरणीय गोपाल जी बहुत बहुत आभार
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 4, 2015 at 9:56am

दांगी जी 

बहुत बेहतरीन .

Comment by Rahul Dangi Panchal on August 3, 2015 at 2:30pm
आदरणीय रवि जी बहुत बहुत आभार रचना सफल हुई ।
आपके सुझाव ले पहले मैंने में ही किया था पर किसी कहावत के आधार पर बदल कर की कर दिया था।
सादर नमन
Comment by Rahul Dangi Panchal on August 3, 2015 at 2:29pm
आदरणीय धर्मेन्द्र भाई जी आपकी बात ने बहुत हौसला दिया है शुक्रिया

आदरणीय मेरी विनती है तमाम मंच से क्रपया शब्द चयन व कहन पर भी टिप्पणी किया करें जिससे हम नौसिखियाओं को कुछ और सहारा मिले।
सादर
Comment by Ravi Shukla on August 3, 2015 at 12:07pm

आरणीय राहुल जी

बधाई

कभी बेबसी तो कभी बेकली।
इन्हीं दो घरों की जवानी रही।।  इन्‍हीं दो  घरों में जवानी रही   ......यदि कहें तो रहने का भाव कुछ मुखर हो सकता है  गुणी जन कृपया हमें दिशा दें ।

सभी दासियाँ थी जिगर में सनम।
फकत आपकी याद रानी रही।।

इन दोनेा अशआर की सादगी बहुत पसंद आई

दाद कुबूल करें

आभार

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 3, 2015 at 11:42am
और जिस भी शब्द / शब्द समूह के साथ आप सहज महसूस करते हों उसका प्रयोग करें। किसी पूर्वाग्रही व्यक्ति की बातों में आकर अपना ‘स्टाइल’मत गँवायें।
Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 3, 2015 at 11:35am
अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय राहुल जी, दाद कुबूल करें
Comment by Rahul Dangi Panchal on August 2, 2015 at 11:06pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय मिथिलेश जी व आदरणीय मंच से निवेदन करता हूँ मेरी एक समस्या दूर करें ।
मैं एक गोष्ठी में गया वहाँ पर मुझे उर्दू के हिन्दी शब्द इस्तेमाल करना मना किया गया जैसे इस गजल में " दासियाँ " शब्द। और तमाम उम्र को ता उम्र करने को कहा । क्रपया मार्ग दर्शन करें।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 2, 2015 at 7:41pm

आदरणीय राहुल जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है, शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service