For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ना रहे जो वक्त तो भी रहेगा वक्त ही

वक्त बेज़ुबां है तो भी कहेगा वक्त ही |

 

यूं तो गुज़र जाता है जिंदगी की तरह

जिंदगी के बाद तो भी रहेगा वक्त ही |

 

मैं उसे थामे चलूँ कितनी भी दूर ही

हाथ मेरा थाम तो भी चलेगा वक्त ही |

 

मेरी हर शै बढे या घटे है हर पल

जितना भी घटे तो भी बढेगा वक्त ही |

 

जो फैला है मार-काट साथ जिंदगी के

मारो किसी को तो भी कटेगा वक्त ही |

 

 (मौलिक और अप्रकाशित)

 

 

 

 

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on October 8, 2015 at 1:24pm

मैं उसे थामे चलूँ कितनी भी दूर ही
हाथ मेरा थाम तो भी चलेगा वक्त ही ----- वक़्त की क्या खूब चित्रण हुआ है आपकी इस रचना में आदरणीय चंद्रेश जी। बिलकुल सही कहा है आपने कहीं कुछ बचे न बचे रहेगा यहां सिर्फ वक़्त ही। क्षणभंगुर जीवन के बहुत खूब कमजोर पक्ष उजागर किये हैं आपने अपने इस रचना माध्यम से। बधाई आपको।

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on October 4, 2014 at 3:17pm

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण जी, आपका ह्रदय से धन्यवाद| सही याद किया आपने| वक्त के ही दिन-रात-कल-आज हैं ये सभी वक्त से ही तो बने हैं|

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on October 4, 2014 at 3:15pm

आपका हार्दिक आभार, महिमा श्री जी !!

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on October 4, 2014 at 3:14pm

आदरणीय Dr. Vijai Shankar जी, आपका हार्दिक आभार !! सुन्दर विश्लेषण किया आपने, ज़िन्दगी एक संयोग है जिसमें वक्त की भी भूमिका है| सही है.. जीवन में वक्त की भूमिका है और वक्त में जीवन की| पुनः धन्यवाद !

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on October 4, 2014 at 3:12pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, आपका हार्दिक आभार !!

Comment by MAHIMA SHREE on September 30, 2014 at 8:06am

ना रहे जो वक्त तो भी रहेगा वक्त ही

वक्त बेज़ुबां है तो भी कहेगा वक्त ही |

 

यूं तो गुज़र जाता है जिंदगी की तरह

जिंदगी के बाद तो भी रहेगा वक्त ही |.....वाह ...बेहद उम्दा ..वक्त को बहुत ही खूबसूरती से पेश किया है ..हार्दिक बधाई स्वीकार करे 

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 26, 2014 at 2:49pm

वक्त फिल्म का गाना यादा गया - वक्त के दिन और रात i वक्त के कल और आज i --- सुन्दर रचना i

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 26, 2014 at 2:02pm

वक़्त के बारे में यह सवाल बहुत उठता है , पर जिंदगी है क्या , एक संयोग जिसमें वक़्त की भी भूमिका है , शायद सबसे बड़ी भूमिका है , वक़्त है
तो है। नहीं तो,नहीं है।
ना रहे जो वक्त तो भी रहेगा वक्त ही
वक्त बेज़ुबां है तो भी कहेगा वक्त ही |

बधाई आदरणीय चंद्रेश कुमार छटलानी जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 26, 2014 at 11:29am

यूं तो गुज़र जाता है जिंदगी की तरह

जिंदगी के बाद तो भी रहेगा वक्त ही......बहुत गहरी बात कही. बधाई आदरणीय चंद्रेश जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service