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"अरे जरा पता तो कर, इस एरिआ में स्साला कौन पैदा हो गया जो मेरे घर में चोरी कर गया." नेताजी गरजते हुए बोले । 
"भईया जी, पता चल गया है, इ काम कल्लुआ गिरोह का है, चोरी के माल के साथ बड़का गाँव में छुपा हुआ है, आप कहें तो पुलिस भेज कर उसे चोरी के माल के साथ गिरफ्तार करवा दें ?"
"अबे पगला गया है क्या ? जीते जी मरवायेगा !!! उ कल्लुआ को खबर करवा दे, किसी हाल में वो पुलिस के हाथ नहीं लगना चाहिए ।" 
"आयं !!! वो क्यों भईया जी ?"
"रे बकलोल, उसका जो होगा सो होगा, मगर हमारा ………

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : भुट्टे वाली

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Comment by गिरिराज भंडारी on July 24, 2014 at 3:06pm

उन्ही के भरोसे तो इनकी नेता गिरी टिकी है , कैसे नही बचायें उनको । एक और बढिया लघु कथा  के लिये आपको बधाइयाँ ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2014 at 1:10am

गणेश भाई, वाह !
नेताजी के व्यक्तित्व को क्या खूब परिभाषित किया है आपने ! लघुकथा सामाजिक विसंगतियों के मूल कारणों पर करारा प्रहार करती है.
कथानक इतना प्रभावी है कि मुझे हाल में देखी ’स्पेशल २६’ के एक दिलचस्प सीन का स्मरण हो आया.
बहुत-बहुत बधाई इस लघुकथा के लिए..

Comment by विनय कुमार on July 23, 2014 at 7:07pm

बहुत मौजूं और सटीक लघुकथा , बहुत बहुत बधाई..

Comment by Santlal Karun on July 23, 2014 at 4:19pm

आदरणीय गणेश जी बागी जी,

वर्तमान विडम्बना पर आधारित व्यंग्यपरक पठनीय; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 23, 2014 at 12:26pm

आदरणीय बागी जी

प्रथम पंक्ति तो पढ़कर हंसी आयी i एरिया में नेता जी  से बढ़कर नया चोर कौन ? फिर व्यंग्य  उभरता है i उन्होंने  कलुआ को खबर करवा दे -जिस अंदाज में कहा उससे पता चलता है कि वह नेता जी के लिये  अपरिचित नहीं था i अब मॉल के सार्वजनिक होने का भय i हो सकता है वह भी कलुआ के ही हुनर का नतीजा हो i  यदि नहीं भी तो भी नेता जी का सामान संदिग्ध तो  था ही i  एक सुगठित लघु कथा  i आपको बधाई ,आदरणीय i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 23, 2014 at 12:25pm

बहुत ही बढ़िया लघुकथा. एक कहावत..चोर-चोर मौसेरे भाई, यहाँ फिट बैठ रही है. आपको हार्दिक बधाइ आदरणीय बागी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2014 at 11:36am

हाहाहा -----नेता जी डर गए कि चोरी के माल में चोरी का माल मिलेगा पुलिस को फिर उसकी साख़ का क्या होगा ....बहुत बढ़िया जबरदस्त कटाक्ष करती लघु कथा|हेतु हार्दिक बधाई आ० गणेश जी | 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 23, 2014 at 11:17am
Realistic . Congrats .

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