For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खरामा - खरामा चली जिंदगी,

खरामा - खरामा घुटन बेबसी,

भरी रात दिन है नमी आँख में,

खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,

अचानक से मेरा गया बाकपन,

खरामा - खरामा गई सादगी,

शरम का ख़तम दौर हो सा गया,

खरामा - खरामा मची गन्दगी,

जमाना भलाई का गुम हो गया,

खरामा - खरामा बुरा आदमी,

जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,

खरामा - खरामा जहर सी लगी.....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 756

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priya Ranjan on January 22, 2013 at 3:51pm

बढ़िया है जी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 21, 2013 at 5:04pm

ह्रदय से आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी.. आशीष बनाए रखें. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 21, 2013 at 4:58pm

बढ़िया ग़ज़ल लिखी है प्रिय अरुण दाद कबूलें 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2013 at 1:54pm

आदरणीय भ्राताश्री प्रणाम, बेहद प्रसन्नता हुई की आपने अपना बहुमूल्य समय दिया मैं धन्य हुआ, यूँ ही अनुज पर स्नेह बनाये रखें हार्दिक आभार सादर.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on January 20, 2013 at 1:47pm

//शरम का ख़तम दौर हो सा गया,

खरामा - खरामा मची गन्दगी,//

अरुण शर्मा 'अनंत' जी,

दिल से निकले शानदार अशआर के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें |

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2013 at 1:35pm

आदरणीय श्री बागी सर आपके दिल से निकली वाह वाह मेरे दिल को छू कर दिल में घर कर गई, आपका स्नेह अच्छा और अच्छा लिखने को अग्रसर करता है. आशीष का हाँथ रखे रखें सादर.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 19, 2013 at 3:11pm

//शरम का ख़तम दौर हो सा गया,

खरामा - खरामा मची गन्दगी,//

बहुत खूब भाई , वाह वाह , यही दिल से निकल रहा है , बहुत ही उम्दा ख्याल है , अच्छी ग़ज़ल कही है दाद कुबूल करें ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 5:42pm

माफ़ कीजिये सर परेशान कर रहा हूँ, राखी भी गलत है ये रखी है कृपया बदल दें. सादर

Comment by Admin on January 18, 2013 at 5:40pm

आदरणीय अरुन जी प्रणाम, इस रचना में गम की जगह गुम कर दिया गया ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 5:32pm

आदरणीय एडमिन महोदय प्रणाम, इस रचना में कृपया गम की जगह गुम कर दें. सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
12 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service