For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन)

वज्न : 2122, 1122, 1122, 22

चोर की भांति मेरी ओर नज़र करती है,

प्यार से बोल जरा प्यार अगर करती है,

फूल से गाल तेरे बाल तेरे रेशम से,

चाल हिरनी सी मेरी जान दुभर करती है,

धूप सा रूप तेरा और कली सी आदत,

बात खुशबू को लिए साथ सफ़र करती है,

कौन मदहोश न हो देख तेरी रंगत को,

शर्म की डाल झुकी घाव जबर करती है,

मार डाले न मुझे चाह तुझे पाने की,

मौत के पास मुझे रोज उमर करती है..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2013 at 11:10am

आदरणीय बागी सर प्रणाम, आपकी दृष्टी ग़ज़ल पर पड़ी, ग़ज़ल यूँ ही मुकम्मल हो गई, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी मेरा लेखन कार्य सफल हुआ, यूँ ही आशीष बनाए रखें. सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 20, 2013 at 11:09am

मित्रवर राम शिरोमणि जी आभार ग़ज़ल आपको पसंद आई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 19, 2013 at 3:26pm

//मार डाले न मुझे चाह तुझे पाने की,
मौत के पास मुझे रोज उमर करती है..//

वाह वाह क्या कहन है,जबरदस्त , अच्छी ग़ज़ल, बधाई प्रिय अरुण जी ।

Comment by ram shiromani pathak on January 18, 2013 at 7:37pm

अरुण जी, बहुत खूबसूरत गजल.

उत्तम अति उत्तम महोदय ,

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 11:44am

आदरणीया राजेश कुमारी जी प्रणाम, ग़ज़ल को पसंद करने हेतु एवं सुन्दर टिप्पणियां हेतु हार्दिक आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखें. सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 11:43am

आदरणीया शन्नो जी आपको ग़ज़ल पसंद आई ह्रदय से धन्यवाद.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 18, 2013 at 11:42am

आदरणीय श्याम जी आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2013 at 9:06pm

प्रिय अरुण जी इस रूमानियत से भरी मुसल्सल  ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें

Comment by Shanno Aggarwal on January 17, 2013 at 8:06pm

अरुण जी, बहुत खूबसूरत गजल. 

Comment by Shyam Narain Verma on January 17, 2013 at 5:08pm

बहुत खूब !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service