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मदिरा सवैया

मोषक राज किये यतियों पर ये कहना अतिरंजन है।
कौन बचा दुनिया भर में कह दे उसका चित कंचन है।
शोषक भी सब शोषित भी सब मौसम का परिवर्तन है।
कारण है निजता चढ़ के सिर नाच रही कर गर्जन है॥

दुर्मिल सवैया

अवलंबन हो निज का तब जीवन ये सुख की रसधार लगे।
प्रभुवंदन से मन पावन हो तरणी भव के उसपार लगे।
धरती सम हो उर तो नित "मैं कुछ दूँ सबको" यह भाव जगे।
अनुशीलन है बसता जिसमें उसमें नव के प्रति चाव जगे॥

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 4, 2012 at 5:57pm

सराहना के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र अरूण शर्मा जी........

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 3, 2012 at 2:16pm

मित्र कुमार गौरव अजितेंदु मुझे इनका ज्ञान नहीं है परन्तु पढ़कर बहुत अच्छा लगा बधाई स्वीकारें.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 3, 2012 at 2:03pm

सादर प्रणाम आदरणीय रक्ताले सर ......सराहना के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 3, 2012 at 2:02pm

सादर प्रणाम मित्रवर संदीप पटेल जी .....आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 3, 2012 at 2:00pm

बहुत-बहुत धन्यवाद शालिनी जी.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 3, 2012 at 2:00pm

सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार आदरणीया सीमा जी...........

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 7:08pm

आदरणीय गौरव जी 

                        सादर, दोनों ही सवैया मस्त बन पड़े हैं और मदिरा सवैया के लिये तो कहूँगा कि प्रत्येक चरण में मद छलक रहा है.बहुत बहुत बधाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2012 at 4:14pm

आदरणीय कुमार गौरव जी सादर प्रणाम
सुन्दर सवैया छंद रचे हैं आपने सादर बधाई  आपको

Comment by shalini kaushik on December 1, 2012 at 3:22pm

अवलंबन हो निज का तब जीवन ये सुख की रसधार लगे।
प्रभुवंदन से मन पावन हो तरणी भव के उसपार लगे।
धरती सम हो उर तो नित "मैं कुछ दूँ सबको" यह भाव जगे।
अनुशीलन है बसता जिसमें उसमें नव के प्रति चाव जगे॥

bahut sundar bhavabhivyakti .badhai

Comment by seema agrawal on December 1, 2012 at 12:20pm

//धरती सम हो उर तो नित "मैं कुछ दूँ सबको" यह भाव जगे।
अनुशीलन है बसता जिसमें उसमें नव के प्रति चाव जगे॥// वाह बहुत सुन्दर भाव और सम्प्रेषण 

दोनों ही सवैये बहुत सुन्दर बने हैं 

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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