For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छन्न पकैया छन्न पकैया, सॉरी भैया धोनी।
स्पिन ट्रैक से क्या होता है, टलती थोड़े होनी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, भाग देख लो फूटे।
अपने सौवें ही दंगल में, वीरू दादा टूटे॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, थोड़ा चले पुजारा।
लदफद होती सेना को जो, देते रहे सहारा॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्या करते हो सच्चू।
अपने ही घर में अपनी क्या, पिटवाओगे बच्चू॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, अन्ना दीखे भज्जी।
कुक पूरे सरकारी बन के, उड़ा रहे थे धज्जी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखी नहीं तैयारी।
थोड़ा सा गंभीर दिखा जो, खेला दूजी पारी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, पड़े मैच में कोड़े।
कोई भी युवराज नहीं था, रोक सके जो थोड़े॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, लगा बड़ा वो बोझा।
भूतों की टोली से हारा, जो बनता था ओझा॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, गोली बन गई खोखा।
अश्विन की तो बात न करना, दिया सभी ने धोखा॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, समय बुरा था बीता।
तीर खान के सब नहीं चले, मैच फिरंगी जीता॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, मुक्त कंठ से गाओ।
नहीं समझ में आये कुछ तो, भाई छन्न पकाओ॥

Views: 939

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 4, 2012 at 5:55pm
आदरणीय रक्ताले सर ...आपका बहुत-बहुत धन्यवाद......
Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 9:56am

 आदरणीय गौरव जी

                     सादर, छन्न पकैया छंद में क्रिकेट में दुर्गति को खूब उभारा है. वाह!!! बधाई स्वीकारें.

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 29, 2012 at 12:31pm

आदरणीय गुरुदेव .......शिल्प के आधार पर भी रचना सही है ये जान कर मेहनत सार्थक लग रही है ........एक बार पुनः आपका हार्दिक आभार ......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 29, 2012 at 12:31pm

आदरणीया प्राची दीदी ......रचना आपको पसंद आई .......जान के बहुत अच्छा लगा ......आपका हार्दिक आभार .......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 29, 2012 at 12:31pm

आदरणीय लक्ष्मण सर ........रचना को पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 29, 2012 at 11:19am

शिल्प के लिहाज से सार छंद में 16-12 की यति पर पद के दोनों चरण होते हैं.  यदि चरणों का समापन गुरु गुरु (ऽऽ) या लघु लघु गुरु (।। ऽ) से हो तो गेयता उत्कृष्ट रहती है.  विशेषकर सम चरण में इसे निभाना रुचिकर है

उपरोक्त आधार पर आप देखिये क्या ही सुन्दर प्रस्तुति है. दूसरे, छंदों में इस तरह के कथ्य आज के युवा पाठकों को भी लुभाते हैं. दूसरे, जबतक विषय की मांग या पूरे कथ्य का आग्रह न हो खड़ी हिन्दी का प्रयोग छंदों को आजके संदर्भ से जोड़े रहता है.  हाँ, सवैया जैसे छंदों में आजकी खड़ी या शुद्ध हिन्दी का एकांगी प्रयोग कष्टसाध्य है. उन छंदों की भाषा में देसज और आंचलिक शब्दों का प्रयोग अनिवार्य जैसा प्रतीत होता है. वैसे आपको मैंने हिन्दी के खड़े रूप में सवैया कहते पढ़ा है.

शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2012 at 11:15am

प्रिय कुमार गौरव जी, बहुत खूब छंद पकैया... एक एक खिलाड़ी को धो धो के पकाया है छन्न, हा हा. बहुत मज़ा आया पढ़ कर. हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 29, 2012 at 10:22am
चन्न पकैया छन् पकैया, काव्य कमेंट्री बढ़िया
बधाई कुमार गौरव् भाई, सुनी कमेंट्री बढ़िया ।
 
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 29, 2012 at 7:08am

सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश जी .....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 29, 2012 at 7:07am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गुरुदेव .....रचना शिल्प के आधार पर भी तो सही है न? ......अन्य विद्वजनों की लिखी छन्न पकैया पढ़के जितना शिल्प के बारे में मैं समझ सका उतना लिखा है ......बाकी आप मार्गदर्शन करें .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service