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नील गगन में अम्बुद धवल,
स्नेहरूपी मोतियों समान बूँदों से सींचते
बलवान, योग्य आत्मजों सदृश
फलों से लदे छायादार विटपों से भरी,
उत्साही, सुगन्धित, रंग-बिरंगी पल्लवित
पुष्पों से सजी,
स्वर्ण सरीखी लताओं से जड़ित,
चटख हरे रंग की कामदार कालीन बिछी
धरती को;
मंगलगान गाती कोयलें बैठ डालियों पर,
प्रणय-निवेदनरत मृग युगल,
अमृतकलश सम दिखते सरोवर,
किलकारियों से वातावरण को गुंजायमान
करते खगवृन्द,
परियों जैसी उड़ती तितलियाँ;
ऐसे सुन्दर, मनमोहक, रम्य दृश्य को
निहारते हुये
मुदित मन से नृत्य करते-करते
अपने पैरों पर दृष्टी पड़ते ही
नैराश्य के विशिखों से विदीर्ण ह्रदय हुआ
अकस्मात ही ठिठक जाता है
मयूर मन का।

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 15, 2012 at 10:52am

हार्दिक आभार आदरणीय मित्र अरुन शर्मा जी........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 15, 2012 at 10:52am

हार्दिक आभार आदरणीय अजय खरे जी.........

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 1:43pm

कुमार गौरव मित्र सुन्दर कविता अच्छा प्रयास मेरी ओर  से बधाई

Comment by Dr.Ajay Khare on December 13, 2012 at 1:39pm

man ki chanchalta ka barnan bahut badia badhai

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 13, 2012 at 12:59pm
आदरणीय बड़े भैया गणेश जी...आपका स्नेह सदा मार्गदर्शन करता है...आपसे पूर्णतः सहमत हूँ...अनुज पर स्नेह बनाए रखें...आपका हार्दिक आभार...
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 13, 2012 at 12:53pm
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय राजेश झा जी। आपकी प्रतिक्रिया ने एक महत्वपूर्ण पक्ष की ओर ध्यान दिलाया है...
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 13, 2012 at 12:50pm
आदरणीया प्राची दीदी...रचना को सराहने के लिए आपका आभारी हूँ। सम्भवतः इस रचना में अपेक्षित गति और लय की थोड़ी कमी खटक रही है जिसपर आपने ध्यान आकृष्ट कराना चाहा है...इस हेतु आपका विशेष आभार...
Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 13, 2012 at 12:44pm
आदरणीया सीमाजी...बिलकुल आपकी बात से सहमत हूँ। प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 8:27pm

अच्छी रचना गौरव जी, साथ में मैं डॉ प्राची जी से सहमत हूँ |

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 5:33pm

प्राची जी से सहमत हूं मेरे हिसाब से शब्‍द भार अधिक हो गया है इसी कारण सहजता बाधित हो रही है किंतु भाव पक्ष के लिए बधाई जरूर मिलनी चाहिए

कृपया ध्यान दे...

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