For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : कर्तव्य (गणेश जी बाग़ी)

एक साल हो गया था माँ से मिले हुए। मिलने का बहुत मन हो रहा था। इसलिए वह होली के अवसर पर गाँव जाना चाहता था। किन्तु छुट्टी का आवेदन अस्वीकार कर दिया गया। घर पहुँचते ही वह सीधे बिस्तर पर गिर पड़ा और सामने दीवार पर लगी स्वर्गीय पिता की तस्वीर को एकटक देखते-देखते कब आँख लग गई, कब वह सपनों में गोते खाने लगा, पता ही न चला।
"बेटा बहुत परेशान लग रहे हो!"
"हाँ पापा, इस कोरोना के कारण माँ से मिले एक साल हो गया, छुट्टी मिल नहीं रही है। क्या नौकरी का मतलब यही होता है कि आदमी घर-परिवार से ही कट जाए?"
पिता ने बेटे का सिर सहलाते हुए समझाया,
"तुम जो कह रहे हो बिल्कुल ठीक है बेटा, मगर समाज के प्रति भी तो तुम्हारा कुछ कर्तव्य है।"
"और माँ के प्रति ?"
"माँ के प्रति भी तुम्हारा कर्तव्य है बेटा।"
"तो आप ये चाहते हैं कि मैं अपना ये कर्तव्य भूल जाऊँ?"
"बिल्कुल भी नहीं बेटा! लेकिन एक बात हमेशा याद रखना कि तुम कोई आम सरकारी नौकर नहीं हो। तुम एक डॉक्टर हो... डॉक्टर !"
-----

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 11, 2021 at 5:45pm
वाह बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर ।कर्तव्य हर भावना से ऊपर है ।हार्दिक बधाई सर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 6, 2021 at 8:52pm

आ. भाई गणेष जी बागी, सादर अभिवादन ।अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 6, 2021 at 6:13pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी। बहुत सुंदर संदेश देती बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Chetan Prakash on April 4, 2021 at 5:54pm

 नमस्कार, Er.Ganesh Jee Baghi, 'कर्तव्य' नामक  आपकी लघुकथा  सीमित  दायरे  कथ्य  के सहज प्रफुस्टन के  लिए  उल्लेखनीय  कही जाएगी! यद्यपि  विषय , श्रेय (कर्तव्य ) और प्रेय  (मा ) का द्वंद्व  पुरातन  ही कहा  जाएगा  ,,!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 4, 2021 at 9:32am

मोहतरम समर साहब, नमस्कार, आपकी उत्साहवर्द्धन करती प्रतिक्रिया हेतु आभार ।

Comment by Samar kabeer on April 3, 2021 at 7:53pm

जनाब गणेश जी बाग़ी साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने, बधाई स्वीकार करें ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 3, 2021 at 6:00pm

प्रथम प्रोत्साहन हेतु हृदय से आभार मोहतरम अमीरुद्दीन साहब, यदि लघुकथा के अंत को और स्पष्ट तथा विस्तारित किया जाएगा तो रचना लघुकथा न होकर कहानी हो जाएगी, शेष पाठक मित्रों के लिए ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on April 3, 2021 at 5:17pm

जनाब गणेश जी 'बाग़ी' जी आदाब, अच्छी भावपूर्ण लघुकथा की रचना के लिए बधाई स्वीकार करें। एक पाठक के रूप में इतना ही कहना चाहता हूँ कि लघुकथा के अंत को तनिक विस्तार देने व स्पष्ट किये जाने की आवश्यकता प्रतीत होती है।  सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
38 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service