नहीं माँगता जीवन अपना, पर बेवजह मुझको काटो ना
जो ना आये जहां में अब तक, उनके लिए भी वृक्ष छोड़ो ना ||
नहीं रहेगा जहर हवा में, पेड़ पौधो को लगा दो ना
वायु प्रदूषण नाम ना होगा, बारे आक्सीजन के भी सोचो ना ||
पृकृति का संतुलन बना रहे यूं, करना खिलवाड़ उससे छोड़ो ना
मन, स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा, जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ो ना ||
वायु प्रदूषण एक विकट समस्या, इसका समाधान कुछ खोजो ना
आक्सीजन की किल्लत भारी, फिर से वन उपवन लगा दो ना ||
अपना जीवन तो कट जाएगा, स्वार्थ को अपने छोड़ो ना
नयें वृक्षों की पौध लगा कर, अभियान वृक्षारोपण का छेड़ों ना ||
नई पीढ़ी हमे गाली ना दे, एक स्वच्छ वातावरण तो छोड़ो ना
स्वस्थ, सफल जीवन हो नई पीढ़ी का, उसे, ये मनभावन सौगात दे दो ना ||
रंग बिरंगे फूल लगाकर, भू-धरा को फिर से सजा दो ना
वृक्ष लगे एक भव्य मुकुट सा, ओढ़नी हरियाली की ऊढ़ा दो ना ||
महक उठे जग ये सारा, लहर पेड़-पौधो की चला दो ना
स्वागत करने नई पीढ़ी का, भीनी-भीनी खुशबू फैला दो ना ||
याद करेगी तेरे कर्म को, कोई अमूल्य उपहार तो छोड़ो ना
एक वृक्ष की पुकार को सुनकर यारों, मूहीम वृक्षारोपण की चला दो ना ||
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ. भाई फूलसिंह जी, सादर अभिवादन । अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।
जनाब फूल सिंह जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।
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