For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (मैं जो कारवाँ से बिछड़ गया)

212-122-1212

मैं जो कारवाँ से बिछड़ गया

यूँ तुम्हारे दर पे ही पड़ गया

 

दिल गया ख़ुशी की तलाश में 

साथ उनके हम से बिछड़ गया 

ये गरेबाँ गुल-रू की चाह में 

क्या कहूँ के फिर से उधड़ गया 

वो दुआ थी तेरी या बद् दुआ 

ये नसीब अपना बिगड़ गया 

कोई ज़िन्दगी तो सँवर गई

ग़म नहीं मुझे मैं उजड़ गया

वो तुम्हारी आँखों में चुभ रहा

लो हमारा ख़ेमा उखड़ गया

 

मैं झुका ज़रा हूँ तो क्या हुआ 

ये तुम्हारा क़द भी तो बढ़ गया

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 902

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 29, 2020 at 11:00pm

जनाब रूपम कुमार जी आदाब ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये बेहद मशकूर हूँ। सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 23, 2020 at 7:58pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद जिज्ञासा और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से आपका शुक्रगुजा़र हूँ। अड़ और अढ़ की तुकान्तता के बारे में पहले मैं भी श्योर नहीं था, फिर एक मशहूर शायर की ग़ज़ल सामने आयी जिनके उस्ताद मशहूर शायर "मुसहफ़ी" और जिनके तक़रीबन बहत्तर शागिर्दों में दया शंकर "नसीम" जैसे मुसन्निफ़ हैं, जी मैं बात कर रहा हूंँ ख़्वाजा हैदर अली "आतिश" साहिब की। जब मैंने उनकी ये ग़ज़ल पढ़ी तो कुछ शक नहीं रहा। उनकी ग़ज़ल के चन्द अश'आ़र यहाँ कोट कर रहा हूंँ।

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया 

क़ुमरी का तौक़ सर्व की गर्दन में पड़ गया

फ़ुरक़त की शब में ज़ीस्त ने अपनी वफ़ा न की

क़ब्ल-ए-सहर चराग़ हमारा न बढ़ गया

'आतिश' न पूछ हाल तू मुझ दर्द-मन्द का

सीने में दाग़ दाग़ में नासूर पड़ गया                सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2020 at 7:04am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन ।उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

जानकारी के लिए पूछना चाहूँगा कि क्या अढ़ व अड़ की तुकान्तता ली जा सकती है ? सादर। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 21, 2020 at 9:21am

आदरणीय हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी हाज़िरी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया जनाब। सादर ।

Comment by Harash Mahajan on September 20, 2020 at 10:19pm

आदरणीय अम्मीरुद्दीन अमीर जी अच्छी पेशकश के लिए वहुत बहुत बधाई ।

सादर ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 20, 2020 at 9:48pm

मुहतरम सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये बेहद शुक्रिया जनाब। सादर ।

Comment by Sushil Sarna on September 20, 2020 at 9:36pm
वाह आदरणीय बहुत ही दिलकश गजल हुई है । दिल से मुबारक कबूल करें ।
Comment by Chetan Prakash on September 20, 2020 at 2:03pm

 "नज़्र झुक गयी है ज़रूर जाँ !"
तुम्हारा क़द भी तो बढ़ गया...
अमीर साहब भाषा शास्त्र और ध्वन्यातक विज्ञान कुछ दशकों से उच्चतम स्तर पर प़ढ़ाता रहा हूँ, फिर भी आपके आग्रह को सिरे से नकरता भी नहीं हूँ। हाँ, बह्र में कोई भटकाव नहीं है, वस्तुतः मुफाइलुन के बजाय मैं भूलवश फाइलुन समझ बैठा। इसके लिए मुझे खेद है।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 20, 2020 at 1:20pm

मुहतरम जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, ग़ज़ल तक आने के लिए आपका हार्दिक आभार।

//तकाबुले रदीफ के दोष से ( आखिरी शेर ) बचा सकता था। किन्ही जगहों पर मुझे, मुआफ करे, बह्र से भटकाव दिखाई पड़ा । क्वाफी भी सारे शुद्ध नहीं है। बढ़ का प्रयोग उधड़ अथवा उखड़ के साथ दोष पूर्ण लगा।//

जनाब ऐब-ए-तक़ाबुल-ए-रदीफ़ से बचने के लिए जो मौज़ूँ मिसरा आपके ज़ह्न में है वो ज़ाहिर करते तो बहतर होता, आपको किस मिसरे में और किस जगह बह्र से भटकाव नज़र आया बताने का कष्ट करें ताकि दोष दूर करने का प्रयास किया जाए। मेरी नाक़िस जानकारी के मुताबिक़ बढ़ का प्रयोग उधड़ अथवा उखड़ के साथ दोषपूर्ण नहीं है। फिर भी समय देने के लिये बेहद शुक्रिया। सादर।

Comment by Chetan Prakash on September 20, 2020 at 12:58pm

 

अमीर साहब, तकाबुले रदीफ के दोष से ( आखिरी शेर ) बचा सकता था। किन्ही जगहों पर मुझे, मुआफ करे, बह्र से भटकाव दिखाई पड़ा । क्वाफी भी सारे शुद्ध नहीं है। बढ़ का प्रयोग उधड़ अथवा उखड़ के साथ दोष पूर्ण लगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल के फीचर किए जाने की हार्दिक बधाई।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service