For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नया साल चढ़ा है

कुछ बुदबुदाता हुआ

आया है नया साल

ओढ़े बबूलपन के संग

बुद्धी की सचाई की

मुरझाई पुष्पलता

हो सकता है यह पहनावा

नया फ़ैशन है नए समय का

कहते हो तुम

नया साल चढ़ा है

तुम खुश थे कितने कुछ ही दिन पहले

मदिरा पीते, नाचते सड़कों पर जशन मनाते

झूमते गाते कहते सब से नया साल चढ़ा है

अरे, नया साल ही तो चढ़ा 

मुझमें तुममें कुछ बदला क्या ?

निराकार गुमनाम अनबूझी झूठी

प्रत्याशा की अग्नि का उस दिन

कैसा अजीब ज्वार चढ़ा था तुम पर

कि जैसे सदियों से चलती आई 

संवेदना-रहित बर्फ़-सी ठँडी 

अमानवता पर कोई रंग नया चढ़ेगा

समय की महानदी में गोते खाते

डूबते, किसी पत्थर का सहारा लेते

पागलपन इससे बड़ा और क्या होगा

यही प्रत्याशा लिए ही मात्र एक साल पहले

नाचते गाते मदिरा पीते लड़खड़ाते गिरते

किया था तुमने उस एक नए साल का स्वागत 

खुश हो अब उसी "जाते साल" की लाश धकेलते ?

नया साल ही तो चढ़ा है

क्या ज़िन्दा हुए हैं

तुम और मैं

फिर से इस साल

असंवेदना की छाती के आरपार ?

सिमटी पड़ी है सारी बीसवीं सदी

कितने  "गए साल"  चले गए इतिहास के पन्नों में

मैदान में गिरे सूखे निर्जीव पत्तों-से पड़े 

कांप रही है मानवता की तस्वीर भी जिस बात से

अमानवता की ज़ुबान अभी भी लगातार

वही ज़हर उगल रही है

इस पर भी कहते नहीं थकते हो तुम ...

आई है इक्कीसवीं सदी, नया साल चढ़ा है ?

                    ----------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 376

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 8, 2020 at 5:10pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, भाई समर कबीर जी

Comment by vijay nikore on February 8, 2020 at 5:10pm

सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, मित्र लक्ष्मण जी।

Comment by Samar kabeer on February 8, 2020 at 3:14pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब, बहुत बहतरीन रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 6, 2020 at 7:02pm

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन।अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service