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Naveen Mani Tripathi's Blog (306)

ग़ज़ल - झोंका कोई हिज़ाब उठाता ज़रूर है

221 2121 1221 212*

जुर्मो सितम में उसके इज़ाफ़ा ज़रूर है ।

चेहरा जो आईनो से छुपाता ज़रूर है ।।



गोया वो मेरा साथ निभाया ज़रूर है ।

पर हुस्न का गुरूर जताता ज़रूर है ।।



महफ़ूज़ मुद्दतों से यहां दिल पड़ा रहा ।

तुमने मेरा गुनाह संभाला ज़रूर है ।।



बेख़ौफ़ जा रहा है वो बारिश में देखिये ।

शायद किसी से वक्त पे वादा ज़रूर है।।



आबाद हो गया है गुलिस्तां कोई मगर ।

निकला किसी के घर का दिवाला ज़रूर है।।



गुम हो सके न आज तलक भी ख़याल से… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on January 22, 2017 at 3:05pm — 14 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 212

चाँद को जब भी सवाँरा जाएगा ।

टूट कर कोई सितारा जाएगा ।।



है कोई साजिश रकीबों की यहाँ ।

जख़्म दिल का फिर उभारा जाएगा ।।



सिर्फ मतलब के लिए मिलते हैं लोग ।

वह नज़र से अब उतारा जाएगा ।।



कुछ अदाएं हैं तेरी कातिल बहुत ।

यह हुनर शायद निखारा जाएगा ।।



रिंद है मासूम उसको क्या खबर ।

जाम से बे मौत मारा जाएगा ।।



उम्र गुजरी है वफादारी में सब ।

बेवफा कहकर पुकारा जाएगा ।।



टूट जायेंगी वो दिल की… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on January 20, 2017 at 2:39am — 15 Comments

ग़ज़ल- बिजलियाँ कुछ गिराया करो

212 212 212

रुख से जुल्फें हटाया करों ।

तुम नज़र यूँ ही आया करो ।।



चाँद पर हक़ हमारा भी है ।

अब तो नज़रें मिलाया करो ।।



है अना ही अना चार सू ।

जुल्म इतना न ढाया करो ।।



कर दो आबाद कोई चमन ।

खुशबुओं को लुटाया करो।।



बारहा जिद ये अच्छी नही ।

बात कुछ मान जाया करो ।।



गो ये सच है की मजबूर हूँ ।

आइना मत दिखाया करो ।।



है ज़रूरी तो जाओ मगर ।

वक्त पर लौट आया करो ।।



बेवफा मत कहो तुम उसे… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on January 10, 2017 at 1:30am — 9 Comments

ग़ज़ल --दर्द की तासीर बन दिल में ठहर जाते हैं लोग

2122 2122 2122 212



इस तरह कुछ जोश में हद से गुज़र जाते हैं लोग।

जुर्म की हर इन्तिहाँ को पार कर जाते हैं लोग ।।



हर तरफ जलते मकाँ है आदमी खामोश है ।

कुछ सुकूँ के वास्ते जाने किधर जाते हैं लोग ।।



अहमियत रिश्तों की मिटती जा रही इस दौर में ।

है कोई शमशान वह अक्सर जिधर जाते हैं लोग ।।



यह शिकन ज़ाहिर न हो चेहरा न हो जाए किताब।

आईने के सामने कितना सवर जाते हैं लोग।।



गाँव खाली हो रहा कुछ रोटियों की फेर में ।

माँ का आँचल छोड़ कर… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on January 8, 2017 at 4:09pm — 8 Comments

बाप बेटे में कुछ फ़ासला रह गया

212 212 212 212



बाप बेटे में कुछ फासला रह गया ।

हौसला सब धरा का धरा रह गया ।।



लोग हैरान हैं कुछ परेशान भी ।

हुक्मरां क्यों ठगा का ठगा रह गया ।।



क़त्ल रिश्तों के देखे गए आज फिर ।

कुछ मुनाफे का बस माजरा रह गया ।।



कुर्सियो पर रही उसकी पैनी नज़र ।

वह मिशन मानकर बस लगा रह गया ।।



थे करम कुछ बुरे जो नतीजे मिले ।

खून था जो तेरा गैर का रह गया ।।



क्या उमीदें रखे यह रियासत यहाँ ।

घर में अपने वही बेवफा रह गया… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on December 31, 2016 at 1:22pm — 17 Comments

ग़ज़ल- मिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया

2122 2122 2122 212

मिल गया है आपका वह ख़त पुराना शुक्रिया ।

याद आया फिर मुझे गुज़रा ज़माना शुक्रिया ।।



ढल गई चेहरे की रौनक ढल गया वह चाँद भी ।।

हुस्न का अब होश में आकर बुलाना शुक्रिया ।।



कुछ अना के साथ में नज़रों की वो तीखी क़सिस।

बाद मुद्दत के तेरा यह दिल जलाना ,शुक्रिया ।।



मुस्तहक़ थी आरजू पर हो सकी कब मुतमइन ।

वक्त पर आवाज देकर यूँ बुलाना शुक्रिया ।।



जिक्र कर लेना मुनासिब है नहीं इस दौर में ।

फिर गमे उल्फ़त का देखो लौट आना,… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on December 28, 2016 at 11:59pm — 10 Comments

ग़ज़ल- ख़त मेरा दिल से लगाकर देखिये

2122 2122 212



चाँद को महफ़िल में आकर देखिये ।

इक ग़ज़ल मेरी सुनाकर देखिये ।।



गर मिटानी हैं जिगर की ख्वाहिशें ।

इस तरह मत छुप छुपाकर देखिये ।।



ये रक़ीबों का नगर है मान लें ।

इक रपट मेरी लिखाकर देखिये ।।



हुस्न पर पर्दा मुनासिब है नहीं ।

बज़्म में चिलमन उठाकर देखिये ।।



क्यों फ़िदा हैं लोग शायद कुछ तो है ।

आइने में हुस्न जाकर देखिये ।।



हैं हवाएँ गर्म कुछ् बेचैन मन ।

तिश्नगी थोड़ी बुझा कर देखिये ।।



आप… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on December 27, 2016 at 1:16am — 4 Comments

50 अशआर के साथ मेरी जिंदगी की सबसे लम्बी ग़ज़ल ।

2122 2122 212



तू न मेरा हो सका तो क्या हुआ ।

हो गया है फिर जुदा तो क्या हुआ ।।



हम सफ़र था जिंदगी का वो मिरे ।

बस यहीं तक चल सका तो क्या हुआ।।



मैकदों की वो फ़िजा भी खो गई ।

वक्त पर वो चल दिया तो क्या हुआ ।।



फिर यकीं का खून कर के वह गयी ।

दर्द दिल का कह लिया तो क्या हुआ।।



सुर्ख लब पे रात भर जो हुस्न था ।

तिश्नगी में बह गया तो क्या हुआ ।।



डर गया इंसान अपनी मौत से ।

खो गया वो हौसला तो क्या हुआ ।।…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 24, 2016 at 10:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल- हरम में घुंघरुओं से कुछ कुछ तराने छूट जाते हैं ।

1222 1222 1222 1222

अदा के साथ ऐ ज़ालिम, ज़माने छूट जाते हैं ।

मुहब्बत क्यों ख़ज़ानो से ख़ज़ाने छूट जाते हैं ।।



तजुर्बा है बहुत हर उम्र की उन दास्तानों में ।

तेरीे ज़द्दो ज़ेहद में कुछ फ़साने छूट जाते हैं ।।



बहुत चुनचुन के रंज़ोगम को जो लिखता रहाअपना।

सनम से इंतक़ामों में निशाने छूट जाते हैं ।।



रक़ीबों से मुसीबत का कहर बरपा हुआ तब से ।

हरम में घुंघरुओं से कुछ तराने छूट जाते हैं ।।



वो कुर्बानी है बेटी की जरा ज़ज़्बात से पूछो…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 22, 2016 at 10:30am — 1 Comment

ग़ज़ल वो सुर्खरूं चेहरे पे कुछ आवारगी पढ़ने लगी

2212 2212 2212 2212



शर्मो हया के साथ कुछ दीवानगी पढ़ने लगी।

वो सुर्खरूं चेहरे पे कुछ आवारगी पढ़ने लगी ।।



हर हर्फ़ का मतलब निकाला जा रहा खत में यहां ।

खत के लिफाफा पर वो दिल की बानगी पढ़ने लगी ।।



वह बेसबब रातों में आना और वो पायल की धुन ।

शायद गुजरती रात की वह तीरगी पढ़ने लगी ।।



गोया के वो महफ़िल में आई बाद मुद्दत के मगर ।

ये क्या हुआ उसको जो मेरी सादगी पढ़ने लगी ।।



कुछ हसरतों को दफ़्न कर देने पे ये तोहफा मिला ।

वो फिर…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2016 at 6:00am — 8 Comments

ग़ज़ल: जुबाँ से वक्त भी मुकरा हुआ है

1222 1222 122

बहुत खामोश सा चेहरा हुआ है ।

वो अपने दर्द में उलझा हुआ है ।।



दिखा है आँख में हिलता समंदर ।

किसी के इश्क़ पर पहरा हुआ है ।।



जो सुनता है तुम्हारी धड़कनो को ।

कहा किसने ख़ुदा बहरा हुआ है ।।



मिली जब से नज़र बेहोश है वो ।

यकीनन जख़्म कुछ गहरा हुआ है ।।



तुम्हारे जश्न की चर्चा हुई क्यों।

सुना कुछ रात का सौदा हुआ है ।।



बड़ा अदना समझ रक्खा है मुझको।

तमाशा क्यूँ मेरे घर का हुआ है ।।



हुआ बदनाम तेरी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 2:00pm — 5 Comments

ग़ज़ल- जुबाँ से वक्त तक मुकरा हुआ है

1222 1222 122

बहुत खामोश सा चेहरा हुआ है ।

वो अपने दर्द में उलझा हुआ है ।।



दिखा है आँख में हिलता समंदर ।

किसी के इश्क़ पर पहरा हुआ है ।।



जो गिनता है तुम्हारी धड़कनो को ।

कहा किसने ख़ुदा बहरा हुआ है ।।



मिली जब से नज़र बेहोश है वो ।

यकीनन जख़्म कुछ गहरा हुआ है ।।



तुम्हारे जश्न की चर्चा शहर में ।

सुना कुछ रात का सौदा हुआ है ।।



बड़ा अदना समझ रक्खा है मुझको।

तमाशा क्यूँ मेरे घर का हुआ है ।।



हुआ बदनाम तेरी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 12:39pm — 6 Comments

ग़ज़ल - हो सके तो ऐ ख़ुदा एहसान कर

2122 2122 212



मौत का मेरे नया फरमान कर ।

हो सके तो ऐ खुदा एहसान कर ।।



जिंदगी तो काट दी मुश्किल में, अब

रास्ता जन्नत का तो आसान कर ।।



जी रहा है आदमी किस्तों में अब ।

धड़कनो की बन्द यह दूकान कर ।।



टूट जाती हैं उमीदें सांस की।।

खत्म तू बाकी बचा अरमान कर ।।



हसरतें सब बेवफा सी हो गईं ।

आसुओं के दौर से अनजान कर ।।



हार जाता है यहां हर आदमी।

क्या करूँगा मौत को पहचान कर ।।



है गरीबी से मेरा रिश्ता…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 12, 2016 at 11:30pm — 14 Comments

ग़ज़ल.... अजीब मंजर है बेखुदी का

121 22 121 22 121 22 121 22



न वक्त का कुछ पता ठिकाना न रात मेरी गुज़र रही है ।

अजीब मंजर है बेखुदी का , अजीब मेरी सहर रही है ।।



ग़ज़ल के मिसरों में गुनगुना के , जो दर्द लब से बयां हुआ था ।

हवा चली जो खिलाफ मेरे , जुबाँ वो खुद से मुकर रही है ।।



है जख़्म अबतक हरा हरा ये , तेरी नज़र का सलाम क्या लूँ ।

तेरी अदा हो तुझे मुबारक , नज़र से मेरे उतर रही है ।।



मिरे सुकूँ को तबाह करके , गुरूर इतना तुझे हुआ क्यूँ ।

तुझे पता है तेरी हिमाकत , सवाल…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 7, 2016 at 11:00am — 11 Comments

ग़ज़ल - अश्क़ आए तो निगाहों को सज़ा क्या दोगे

2122 1122 1122 22



अश्क आए तो निगाहों को सजा क्या दोगे ।

है पता खूब वफाओं को सिला क्या दोगे।।



खत जो आया था मुहब्बत की निशानी लेकर ।

लोग पूछें तो जमाने को बता क्या दोगे ।



सुन लिया मैंने तेरे प्यार के किस्से सारे ।

टूट जाए जो मेरा दिल तो खता क्या दोगे ।।



मेरी किस्मत ने मुझे जब भी पुकारा होगा ।

मुझको मालूम मेरे घर का पता क्या दोगे ।।



आशियाँ जब भी उजाड़ोगे तो मुश्किल होगी ।

तेरी हस्ती ही नही मुझको हटा क्या दोगे…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2016 at 2:30am — 16 Comments

ग़ज़ल- यूँ निभाते हैं यहाँ फर्ज निभाने वाले

2122 1122 1122 22

मांग इनसे न दुआ जख़्म दिखाने वाले ।

दौलते हुस्न में मगरूर ख़जाने वाले ।।



जो निगाहों की गुजारिश से खफा रहता है ।

कितने जालिम हैं अदाओं से जलाने वाले ।।



एक मुद्दत से तेरी राह पे ठहरी आँखें ।

क्या मिला तुझ को हमे छोड़ के जाने वाले ।।



था रकीबों का करम शाख से टूटा पत्ता ।

यूं निभाते है यहां फर्ज ज़माने वाले ।।



टूट जाते है वो रिश्ते जो कभी थे चन्दन ।

इश्क़ क्यों जुर्म है मजहब को चलाने वाले ।।



मेरी…

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Added by Naveen Mani Tripathi on December 1, 2016 at 4:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल: असर दिखा है जमाने में खास बातों का

1212 1122 1212 22(112)



असर दिखा है जमाने में खास बातों का ।

मिटा है खूब खज़ाना रईजादों का ।।



है फ़िक्र उस को नसीहत रुला गई यारों ।

गया है चैन , सुना है तमाम रातों का ।।



लुटे थे लोग जो अपने गरीबखानों से ।

हिसाब मांग रहे है वही हजारों का ।।



न पूछिए की चुनावों में हाल क्या होगा ।

बड़ा अजीब नज़ारा है इन सितारों का ।।



सफ़ेद पोश से पर्दा हटा गया कोई ।

पता चला है लुटेरों के हर ठिकानों का ।।



गरीब…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 23, 2016 at 8:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल- जितने सनम मिले सभी शादी शुदा मिले

221 2121 1221 212



ये सिलसिले भी इश्क के हमसे खफा मिले ।

अक्सर मेरे रकीब जमानत रिहा मिले ।।



किस्मत की बेवफाई जरा देखिये हुजूर ।

जितने सनम मिले सभी शादी शुदा मिले ।।



जब भी उठे नकाब हिदायत के नाम पर ।

क्यों लोग आईने में हक़ीक़त ज़ुदा मिले ।।



चर्चा , लिहाज़ उम्र का , उसको नही रहा ।

कुछ तितलियों के फेर में अक्सर फ़िदा मिले।।



अक्सर हबस के नाम पे मरता है आदमी ।

मासूम सी अदा में ढ़ले बेवफा मिले ।।…



Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 22, 2016 at 11:30pm — 15 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 1222 1222



वफ़ा की सब फिजाओं में हमारा जिक्र आएगा ।

घिरी काली घटाओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



पुराने खत जला देना बहुत मायूस कर देंगे ।

खतों की वेदनाओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



खुदा से पूछ लेना तुम खुदा तस्लीम कर लेगा ।

खुदा की उन दुआओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



बहारें जब भी आएँगी तेरी दहलीज़ पे अक्सर ।

महकती सी हवाओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



कोई तारीफ़ में तेरे अगर कुछ शेर कह जाये ।

तो उसकी भी अदाओं में हमारा जिक्र… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 16, 2016 at 9:15am — 4 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 1222 1222



तेरे जलवे से वाकिफ हूँ तेरा दीदार करता हूँ ।

मुहब्बत मैं तुझे सज़दा यहां सौ बार करता हूँ ।।



नज़र बहकी फिजाओं में अदाएं भी हुई कमसिन ।

बड़ी मशहूर हस्ती हो नया इकरार करता हूँ ।।



न जाने कौन सी मिट्टी खुदा ने फिर तराशा है ।

है कारीगर बड़ा बेहतर बहुत ऐतबार करता हूँ ।।



नई आबो हवा में वो कली खिल जायेगी यारों ।

गुलाबी रोशनाई से लिखा रुख़सार करता हूँ ।।



यहां बेदर्द ख्वाहिश है वहां कातिल निगाहें हैं ।

बड़ी…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 15, 2016 at 2:00am — 5 Comments

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