For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: असर दिखा है जमाने में खास बातों का

1212 1122 1212 22(112)

असर दिखा है जमाने में खास बातों का ।
मिटा है खूब खज़ाना रईजादों का ।।

है फ़िक्र उस को नसीहत रुला गई यारों ।
गया है चैन , सुना है तमाम रातों का ।।

लुटे थे लोग जो अपने गरीबखानों से ।
हिसाब मांग रहे है वही हजारों का ।।

न पूछिए की चुनावों में हाल क्या होगा ।
बड़ा अजीब नज़ारा है इन सितारों का ।।

सफ़ेद पोश से पर्दा हटा गया कोई ।
पता चला है लुटेरों के हर ठिकानों का ।।

गरीब हक़ का निवाला पचा नही सकते ।
दिया जबाब है तुझको तेरे फसानों का ।।

बिका टिकट तो वो दूकान खोल के बैठी।
यकीन बेच के आयी है हुक्मरानों का ।।

गए हैं भूल मनाना वो जन्मदिन अपना ।
बड़ा हिसाब भी देना है बन्द खातों का ।।

जो पत्थरों से मदरसों पे जुल्म ढाते थे ।
बने शिकार वही मुल्क के निशानों का ।।

तमाम चोर हुए एक जुट मुसीबत में ।
बुरा हुआ है यहां हाल सख्त थानों का ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2016 at 8:34pm
आ0 कबीर सर विशेष आभार । आ0 गोपाल नारायण सर सादर आभार ।
आ0 गिरिराज सर ग़ज़ल तनफुर दोष को स्पष्ट करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2016 at 7:05pm

आदरबीय नवीन भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , मुबारकबाद कुबूल करें । बाक़ी बातें आ. समर भाई और आ. गोपाल भाई बता ही चुके हैं , खयाल कीजियेगा । सातवें शे र से ऐबे तनाफुर के लिये मुल्क को देश किया जा सकता है ....

Comment by Samar kabeer on November 26, 2016 at 5:29pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल आपकी उम्दा हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
मैं जनाब डॉ.गोपाल नारायण जी की बात से सहमत हूँ ।
9वें शैर में ऐब-ए-तनाफ़ुर है,' मुल्क के'देखियेगा ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 26, 2016 at 4:20pm

आ० नवीन जी , कबीर सर तो उस्ताद हैं ,अवश्य ही अपनी बात कहेंगे , आपने गजल भी अच्व्ची कही है  पर मुझे  कुछ  शेर में रब्त दिखता हैकी कमी दिखती है चौथे और आठवें शेर में लाज्त्मा -ए -जुज्ब -ए -रदीफैन और  सातवें शेर की सानी में ऐब-ए -तनाफुर जान पड़ता है   गुनीजन सही क्या है यह बताएँगे . सादर .   .  

Comment by Naveen Mani Tripathi on November 25, 2016 at 10:33pm
आ0कबीर सर की प्रतीक्षा में

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
15 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service