For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 1212 1212 1212


ख़ाक हो गयी खुशी, था आग का पता नहीं ।
ख़्वाब सारे जल गए, मगर धुआँ उठा नहीं ।

पूछिये न हाले दिल यूँ बारहा मेरा सनम ।
ये हमारे दर्दोगम का सिलसिला नया नहीं ।।

इक नज़र से दिल मेरा वो लूट कर चला गया ।
इस सितम पे क्यूँ अभी तलक कोई खफ़ा नहीं ।।

रूबरू था हुस्न  मेरे और दिल मचल गया ।
कैसे कह दूं आप से हुआ है हादिसा नहीं ।

चाहतों का था असर या इश्क़ था नया नया ।
क्यूँ सिहर गया बदन  तुझे था जब छुआ नहीं ।

क्यूँ लिये थे मांग मुझसे मेरी धड़कनों को तुम ।
जब तुम्हें था दिल सभाँलने का तज्रिबा नहीं ।

बेख़ुदी में क्या कहा न पूछिये हूजूर अब ।
लफ़्ज़ जो बहक गए उन्हीं का तर्जुमा नहीं ।।

मयकशी के बाद भी बनी रही यूँ तिश्नगी ।
रिंद जब बता गए अभी ये दिल भरा नहीं ।।

          मौलिक अप्रकाशित
       डॉ नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dimple Sharma on August 8, 2020 at 12:23pm

आदरणीय डॉ नवीन मणि त्रिपाठी जी नमस्ते,इस खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 6, 2020 at 9:46pm

आ0 तेज वीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 6, 2020 at 9:45pm

आ0 आशीष यादव जी हार्दिक आभार

Comment by TEJ VEER SINGH on August 6, 2020 at 11:18am

हार्दिक बधाई आदरणीय  डॉ नवीन मणि त्रिपाठी जी। बेहतरीन गज़ल।

क्यूँ लिये थे मांग मुझसे मेरी धड़कनों को तुम ।
जब तुम्हें था दिल सभाँलने का तज्रिबा नहीं ।

Comment by आशीष यादव on August 5, 2020 at 1:43pm

आहा! बहुत सुंदर। बहुत अच्छी रचना बनी है। बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 5, 2020 at 1:16pm
आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर साहब तहेदिल से शुक्रिया
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 5, 2020 at 1:05pm

आ. भाई नवीन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service