For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- जितने सनम मिले सभी शादी शुदा मिले

221 2121 1221 212

ये सिलसिले भी इश्क के हमसे खफा मिले ।
अक्सर मेरे रकीब जमानत रिहा मिले ।।

किस्मत की बेवफाई जरा देखिये हुजूर ।
जितने सनम मिले सभी शादी शुदा मिले ।।

जब भी उठे नकाब हिदायत के नाम पर ।
क्यों लोग आईने में हक़ीक़त ज़ुदा मिले ।।

चर्चा , लिहाज़ उम्र का , उसको नही रहा ।
कुछ तितलियों के फेर में अक्सर फ़िदा मिले।।

अक्सर हबस के नाम पे मरता है आदमी ।
मासूम सी अदा में ढ़ले बेवफा मिले ।।

कहना पड़ा है आज उसे बार बार यह ।
वाजिब कहाँ है बात मुझे ही सजा मिले ।।

इतना तो मानता था हमारी भी बात को ।
कुछ तो जरूर था जो कई मर्तबा मिले ।।

बिकता यहां ज़मीर ये हिन्दोस्तान है ।
बिकने लगे हैं लोग कहीं कुछ नफ़ा मिले ।।

बाजार में सजे हैं नए जिस्म आजकल।
उसको खबर नही है तिजारत में क्या मिले ।।

बदला किया वो यार फ़क़त इन्तजार में ।
शायद किसी नसीब में कुछ तो लिखा मिले ।।

----नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 4:57pm
आ0 गिरिराज भंडारी सर सादर नमन
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 4:56pm
आ0 ब्रजेश कुमार ब्रज साहब आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 4:55pm
आ0 सुरेश कुमार कल्याण साहब तहेदिल से शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 4:54pm
आ0 राजेश कुमारी जी सादर नमन
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 16, 2016 at 4:54pm
आ0 मिथिलेश वामनकर साहब तहे दिल से शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 6:26pm

वाह्ह्ह्ह बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आद० नवीन मणि त्रिपाठी जी बहुत बहुत बधाई 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on November 27, 2016 at 9:07am
आदरणीय नवीन मणी जी अच्छी गजल हुई है, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 27, 2016 at 8:55am
वाह आदरणीय वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 24, 2016 at 10:51am

आदरणीय नवीन भाई , अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ । आ. समर भाई की सलाहों पर गौर कीजियेगा ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on November 23, 2016 at 10:27pm
आदरणीय वामनकर साहब विशेष आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"झूठ के विभिन्न आयामों को कथ्य में ढाल कर आपने एक सुंदर दोहावली प्रस्तुत की है, आदरणीय लक्ष्मण धामी…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service