For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ram shiromani pathak's Blog – October 2013 Archive (4)

क्षणिकाएं*********

१-सुकून

सुनों

आज के बाद तंग नहीं करूँगा

चला जाऊँगा

बस एक बार क्षण-भर

आओ बैठो मेरे पास

तुम्हारे आने से

जिंदा हो उठता हूँ



२-अकेला

दुख के सन्नाटे से

लड़ रहा हूँ

तभी तो

आज फिर अकेला हूँ

३-मंत्री भूखानंदजी

करोड़ों का माल गटक गए

सुना है आज फिर

भूख हड़ताल पे बैठे है

४-साथ

मै तो ग़मों का रेगिस्तान था

वो तो तुम्हारे आने से सादाब हो…

Continue

Added by ram shiromani pathak on October 28, 2013 at 8:00pm — 24 Comments

दोहे -७ (खिचड़ी)

लोभ कपट को त्यागकर ,रखो परस्पर नेह !

शुद्ध विचारों से करो ,शीतल अपनी देह !!१

याचक भी राजा बना ,राजा मांगे भीख !

काल चक्र से भी तनिक ,ले लो भाई सीख !!२

इतना तुम क्यूँ रो रहे ,भाई घोंचू लाल !

किसने पीटा आपको ,गाल दिखे हैं लाल!!३

अधर तुम्हारे पुष्प से ,मेरे प्यासे नैन !

जिस दिन तुम दिखती नहीं ,रहता हूँ बेचैन !!४

उन्हें देख जलने लगा ,मन का बुझा चिराग !

शनै: शनै: अब फैलती ,पूरे तन में आग…

Continue

Added by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 6:51pm — 24 Comments

क्षणिकाएं(राम शिरोमणि पाठक)

१-मीठा ज़हर

आज फिर खाली हाथ लौटा घर को

मायूसी का जंगल उग आया है

चारों तरफ

फिर भी मै

हँस के पी जाता हूँ दर्द का मीठा ज़हर

२- एहसान

एक एहसान कर दो

जाते जाते

समेट कर ले जाओ अपनी यादें ।

आज जी भर कर सोना है मुझे

३-महान

सम्मान बेचकर भी

ह्रदय अब तक स्पंदित है

आप महान हो

४-तकिया

अब बहुत अच्छी नींद आती है मुझे

पता है क्यूँ?…

Continue

Added by ram shiromani pathak on October 25, 2013 at 4:30pm — 32 Comments

दोहा -६ (आस -पास)

गाँव बसे कैसे भला ,करते बंदरबांट !

कम्बल तो देते मगर ,लूट लिये सब खाट !!१

हंस देखता रह गया ,बगुले के सर ताज !

गीदड़ अब राजा बना ,गीदड़ सिंह समाज !!२

आदि अंत सब हैं वही ,उनका ही संसार !

वो मिटटी के तन गढ़े ,कितने कुशल कुम्हार !!३

धन की चंचल चाल का ,फैला है भ्रमजाल !

जो पाते वो भी विकल ,बिन पाए बेहाल !!४

पर पीड़ा दिखती नहीं, ऐसे कैसे लोग!

दीमक जैसा खा रहा ,लालच नामक रोग !!५…

Continue

Added by ram shiromani pathak on October 1, 2013 at 8:30pm — 21 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
11 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service