For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपना फ़र्ज़ निभाने दे!

अपना फ़र्ज़ निभाने दे!
फिर से वही बहाने दे !!

तेरा भी हो जाऊँगा !
खुद का तो हो जाने दे !!

गैरों के घर खूब रहा!
अपने घर भी आनें दे !!

मूर्ख दोस्त से अच्छा है !
दुश्मन मगर सयाने दे!!

कागज़ की फिर नाव बनें !
बचपन वही पुराने दे !!
*****************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

मौलिक/अप्रकाशित

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on August 24, 2014 at 12:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी.....  सादर

Comment by ram shiromani pathak on August 24, 2014 at 12:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्रा जी.....  सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 22, 2014 at 12:12am

अब रौ में आगये भाई !

बधाई-बधाई !!

Comment by विजय मिश्र on August 19, 2014 at 3:44pm
बहुत खूब राम शिरोमणिजी ........ बचपन वही पुराने दे |
Comment by ram shiromani pathak on August 19, 2014 at 10:08am

अमूल्य सुझाव व् अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज जी सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 7:58am

आदरणीय राम भाई , छोटी बहर में  बड़ी बात कही है आपने , बहुत बहुत बधाई |

दुश्मन मगर सयाने दे   -- इस मिसरे को ऐसा कहें --  दुश्मन अगर सयाने दे  ,

ऐसा कहना मुझे जादा सार्थक लगा रहा है , पहले मिसरे से जादा कनेक्ट हो रहा है , सोच के देखियेगा |

Comment by ram shiromani pathak on August 18, 2014 at 11:07pm

बहुत बहुत आभार आदरणीयDr. Rakesh Joshi जी...........सादर

Comment by Dr. Rakesh Joshi on August 18, 2014 at 8:59pm
आदरणीय राम जी, वाह…वाह…
Comment by Dr. Rakesh Joshi on August 18, 2014 at 8:59pm
आदरणीय राम जी, वाह…वाह…
Comment by ram shiromani pathak on August 18, 2014 at 6:24pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण जी...........सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service