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 जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते 
 कौन क्या कहता नहीं अब कान देते 
 
 आपके निर्देश हैं चर्या हमारी 
 इस जिये को काश कुछ पहचान देते 
 
 जो न होते राह में पत्थर बताओ 
 क्या कभी तुम दूब को सम्मान देते ? 
 
 बन गया जो बीच अपने हम निभा दें 
 क्यों खपाएँ सिर इसे उन्वान देते 
 
 दिल मिले थे, लाभ की संभावना भी, 
 अन्यथा हम क्यों परस्पर मान देते ? 
 
 जो थे किंकर्तव्यविमूढों-से निरुत्तर 
 आज देखा तो मिले वे ज्ञान देते 
 
 आ गये फिर फूल क्या 'सौरभ' हॄदय में 
 दिख रहे हैं लोग फिर गुलदान देते 
 *** 
 सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)
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