For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-75

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 75 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अर्श मलसियानी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती "

मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन

1222 1222 1222 1222

(बह्र: हजज मुसम्मन सालिम)
रदीफ़ :- और हो जाती
काफिया :- अत (इनायत, बगावत, शराफत आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 23 सितम्बर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24 सितम्बर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 सितम्बरदिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 15745

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , क्या बात है ..... बहुत खूबसूरत गज़ल कही आपने , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आ० डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, हार्दिक बधाई प्रेषित हैI दुसरे शेअर में जो ऐब-ए-तनाफुर की बात आ० समर कबीर साहिब साहिब ने कही है उसका संज्ञान लेना आवश्यक हैI एक छोटी सी गुज़ारिश:

//भरोसा कर अगर तुम दूर तक इतना चले आये//

"कर" और "तुम" जी जुगलबंदी क्या सही है?

आ. डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

वाह ! चूड़ियों की खनक सी हर शेर की आवाज कान से दिल तक  पहुँच गयी 

तुम्हारे होंठ के कुछ फूल कानों में महक उठते

तनिक अहसास में मेरे नजाकत और हो जाती

 

तमन्ना है कि सिर रख दूं तुम्हारे नर्म शानो पर

अदा से इस मुहब्बत में लताफत और हो जाती

 

भरोसा कर अगर तुम दूर तक इतना चले आये

तो दामन थामने की भी इजाजत और हो जाती

 

सजा दूं हाथ में दिलवर खनकती चूड़ियाँ तेरे

जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती 

 लाजवाब है | दिली मुबारकवाद कुबूल करें आ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी |

सादर 

आदरणीय गोपाल नारायन जी .. आप तो कमाल कर दिये !

इन शेरों के भाव बहुत ही प्रभावी हैं - 

तुम्हारे होंठ के कुछ फूल कानों में महक उठते

तनिक अहसास में मेरे नजाकत और हो जाती

 

तमन्ना है कि सिर रख दूं तुम्हारे नर्म शानो पर

अदा से इस मुहब्बत में लताफत और हो जाती

 

भरोसा कर अगर तुम दूर तक इतना चले आये  ........... भरोसा कर अगर हम पर चले आये जो इतनी दूर 

तो दामन थामने की भी इजाजत और हो जाती

 

सजा दूं हाथ में दिलवर खनकती चूड़ियाँ तेरे

जहाँ सब कुछ हुआ इतनी इनायत और हो जाती 

दिल से दाद कुबूल कीजिये 

सादर

भरोसा कर अगर तुम दूर तक इतना चले आये

तो दामन थामने की भी इजाजत और हो जाती..........वाह ! वाह ! बहुत खूब साहब.

आदरणीय डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर, बहुत खूबसूरत गजल कही है आपने गिरह का शेर भी खूब उम्दा हुआ है. भरपूर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल  फरमाएं. सादर.

आद० गोपाल भाई जी, बहुत दिलकश ग़ज़ल हुई है दिल से बधाई लीजिये | आद० समर भाई जी और योगराज जी कह ही चुके हैं बहुत हल्के से बदलाव से मिसरे बोल उठेंगे | भरोसा कर.... वैसे तो मुझे ठीक ही लग रहा है इसके अलावा भरोसे से भी हो सकता है | 

पलटकर वार करता तो क़यामत और हो जाती
महब्बत इक बुरी शय है कहावत और हो जाती

अगर खामोश रहता तो तुम्हारा हौंसला बढ़ता
तुम्हें सबसे झगड़ने की ये आदत और हो जाती

अगर तुम साथ देते,मुझको चाहत और हो जाती
महब्बत में ,महब्बत से, महब्बत और हो जाती

तुम्हें पूजा,तुम्हें चाहा, महब्बत का खुदा माना
दुआ इतनी, तुम्हारी मुझ पे रहमत और हो जाती

दग़ा देने से बेहतर था ,हमें थोड़ी सज़ा देते
गरीबी में हमारी पीर पर्वत और हो जाती

हमारे मुल्क में कुछ लोग खाली बैठ खाते हैं
बराबर काम सब करते तो ,क़ीमत और हो जाती

मेरे अहसास भी तुम ,सामने मेरे कुचल देते
जहाँ सब कुछ हुआ ,इतनी इनायत और हो जाती

मौलिक व अप्रकाशित

वाहहह जी वेहद उम्दा।
मेरे अहसास भी तुम , सामने मेरे कुचल देते ।
वाहहह जी।
सुरेन्द्र जी शुक्रिया शुक्रिया
आपकी प्रतिक्रिया पर हार्दिक आभार ।
Shukriya ji
हार्दिक बधाई आदरणीय सूबे सिंह सुजान जी इस उम्दा ग़ज़ल के लिए।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
9 hours ago
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 30
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Nov 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service