For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-36 (विषय: पराजित योद्धा)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-36 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. गोष्ठी के पिछले 35अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, यह वास्तव  में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उन पर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-36
विषय: "पराजित योद्धा" 
अवधि : 30-03-2018  से 31-03-2018 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 11117

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

अच्छी संदेशप्रद लघुकथा है आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान जी. आपकी लघुकथा पर आदरणीय योगराज सर की टिप्पणी से मुझे भी बहुत कुछ सीखने को मिला. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन प्रस्तुति ।

त्रिपुंडधारी

पंडित दीनानाथ शास्त्री अपने क्षेत्र में कर्मकांडीय पुरोहित के रूप में देवताओं की तरह पूजे जाते थे क्योंकि दूर दूर के अनेक विद्वान पंडितों को शास्त्रार्थ में भी वह परास्त कर चुके थे। विवाह के अनेक वर्ष बाद उत्पन्न एकमेव पुत्र के लिए वह अपनी ही तरह उद्भट विद्वान बनाना चाहते थे इसलिए स्कूली शिक्षा के साथ साथ घर पर संस्कृत पढ़ने पर अधिक जोर देते। शास्त्री जी अपनी त्रिकाल संध्या के बाद प्रतिदिन कहा करते,

‘‘ सियावर रामचंद्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय, बृन्दावन विहारीलाल की जय, उमापति महादेव की जय, काशी विश्वनाथ की जय, उज्जयनी के महाकाल की जय, रामेश्वरम् की जय, जगन्नाथजी की जय, वैष्णव देवी की जय, सिद्धविनायक की जय ..... ’’

आदि, जब तक नाम याद आते गये तब तक उच्चारण करते जाते, फिर कहते ..
‘‘ करोड़ों देवताओं में से सबके नामों को नहीं ले पा रहा हॅूं सो कृपा कर वे नाराज न होवें, उनकी भी जय।’’

एक दिन, संध्या करने के बाद शास्त्री जी ज्योंही पूजा स्थल से निकले कि पुत्र ने कहा,
‘‘ पिताजी, रामरक्षास्त्रोत के एक श्लोक,
.... माता रामो मत्पिता रामचंद्रः, स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्रः
सर्वस्व मे रामचन्द्रो दयालु, नान्यं जाने नैव जाने न जाने। ....
में से अंतिम पद , नान्यं जाने नैव जाने न जाने, को समझने में कठिनाई जा रही है ’’

शास्त्री जी तुरन्त बोले, ‘‘ इसका अर्थ है, हे राम ! मैं तुम्हारे सिवा न तो किसी को जानता हूँ , और न ही जानना चाहता हॅूं।’’

‘‘ तो, राम भक्त होते हुए आप रोज संध्या करने के बाद उनसे असत्य क्यों बोलते हैं ?’’

पसीने से स्नान करते हुए शास्त्री जी के मस्तक पर लगा त्रिपुंड कह उठा,
‘‘ तूने मुझे पराजित कर दिया वत्स। ’’
मौलिक व अप्रकाशित

विनम्र आभार आदरणीय। 

अच्छी लघुकथा है आ० डॉ टी आर सुकुल जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें. 

विनम्र आभार आदरणीय। 

आद0 टी आर शुकुल जी सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा, विषय को परिभाषित करती हुई।इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये।

विनम्र आभार आदरणीय। 

विषय को परिभाषित करती हुई इस बढिया प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये आदरनीय टी आर शुकुल जी. कथा अच्छी बनी है......

सादर 

विनम्र आभार आदरणीय। 

अच्छी कथा हुई है आदरणीय डॉ टी एस सुकुल जी | हार्दिक बधाई|

विनम्र आभार  आदरणीया।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम. . . . उल्फत

दोहा दशम - ..... उल्फतअश्कों से जब धो लिए, हमने दिल के दाग ।तारीकी में जल  उठे, बुझते हुए चिराग…See More
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Feb 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service