For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।

इस बार का मिसरा जनाब 'अहमद फ़राज़' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

मैंने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला'

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन

2122 1122 1122 22/112

बह्र-ए-रमल मुसम्मन सालिम मख़बून महज़ूफ़

रदीफ़ --निकला

क़ाफ़िया:-(अर की तुक)
समंदर,पत्थर,बाहर,अंदर,दिलबर आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 24 मई दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 25 मई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 मई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1456

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय यूफ़ोनिक अमित जी नमस्कार। ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक आभार ।आवश्यक सुधार करने के बाद दिखाती हूँ। सादर। 

आदरणीया रचना भाटिया जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। 

आसमाँ छूने की जल्दी में था हर शख्स मगर 

जब भी निकला वो क़दम रख के ज़मीं पर निकला

वाह बहुत खूब।

आदरणीया रचना जी नमस्कार

अच्छी तरही ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये

अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर है जिससे ग़ज़ल और भी निखर जाएगी

सादर

आ. रचना जी सादर नमस्कार । ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई।

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार। 

बधाई स्वीकार करें आ ग़ज़ल अच्छी हुई इस्लाह भी अच्छी हुई

आदरणीय रचना भटिया जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।

आदरणीया रचना जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें। 

2122 1122 1122 22/112


घर से मेले के लिए कौन यूँ सजकर निकला
अपनी चुन्नी में लिए सैकड़ों अख़्तर निकला 1

सादगी से जो बयाँ करता था दिल की बातें
हमको मालूम नहीं था वो सुख़नवर निकला 2

मुफ़्त में दे गए थे गैस का चूल्हा लेकिन
कौन भरवाए बहुत मँहगा सिलेंडर निकला 3

कल अकेले में तुझे सोचने जो बैठे हम
आँख से आँसुओं का एक समंदर निकला 4

दिल के तहखाने में झाँका हुए हैरान बहुत
मेरे दिल में तेरी यादों का ही खण्डर निकला 5

कल जहाँ पैसे जमा करके चले आये हम
देखने फिर जो गए बन्द वो दफ़्तर निकला 6

हम महब्बत से किया करते थे बातें जिससे
बेवफ़ा था वो "रिया" एक सितमगर निकला 7

गिरह-


मुझको अहबाब मेरे देते रहे हैं धोका
'मैंने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला'


"मौलिक व अप्रकाशित"

आ. रिचा जी, अचछी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"ग़ज़ल द्वेष हर दिल से मिटा कर के नतीजा देखूँ देश का हाल भला बनता है कैसा देखूँ रास्ता बीच का मजबूत…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मेरे …"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब, हर शेर पे दाद क़ुबूल…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल का प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब हुई सादर"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"2122 1122 1122 22 घर से निकलूँ कहीं बाहर जो है दुनिया देखूँ वक़्त के साथ ही ख़ुद को भी मैं चलता…"
6 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई । बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"अपने भारत के लिए मैं यही सपना देखूँ फिर इसे बनते हुए सोने की चिड़िया देखूँ मेरी हसरत है, हो हर आँख…"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहता हूँ तुझसे जन्मों का नाता है ओबीओ
"गज़ब धर्म निभाया, आप ने,आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर,  धामी जी, अनेकानेक बधाईंया !"
8 hours ago
Chetan Prakash commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"बहुत सुन्दर शास्त्रीय गीत का सृजन हुआ,  भाई,  नाथ सोनाक्ष, बधाई,  आपको, श्री  !"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"मेरे  महबूब  कभी  वो  हसीं  चहरा  देखूँ   दिन भी बन जाए…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service