For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 26262

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

वाह मोहतरम मसऊद साहिब, बेहतरीन ग़ज़ल हुई दिली मुबारक़बाद कुबूल फरमाएँ

आद0 हाफिज मसूद जी सादर अभिवादन। आपके हवाले से एक बेहतरीन ग़ज़ल मिली पढ़ने को। शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल कीजिये

वाह हाफिज साहब रह वो ऐसी दिखा गया बहुत बेहतरीन गजल बधाई कुबूल कीजिए

आ. भाई हफिज मसूद जी, उम्दा गजल के लिए हार्दिक बधाई ।

आदरणीय हाफ़िज़ मसऊद साहब, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

दाग़ आने लगे नज़र खुद ही ।

आईना वो दिखा गया है मुझे ।।

बहुत खूब जनाब हाफ़िज़ मसूद साहिब। दाद-ओ-मुबारकबाद क़बूल करें। 

आदरणीय हाफ़िज़ मसूद मुहम्मदाबादी जी, आपकी एक अच्छी ग़ज़ल से आयोजन भी आबाद हुआ. दिली दाद क़बूल करें> 

सादर

मह्मुदाबादी साहब मुबारबाद पेश करता  हूँ बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है |

आदरणीय महमूदाबाद साहब। बेहतरीन गजल के लिए बधाइयाँ।

दाग़ आने लगे नज़र खुद ही ।

आईना वो दिखा गया है मुझे ।।.....इस अशआर पर खास दाद कबूल फरमायें।

//रह वो ऐसी दिखा गया है मुझे।

ढ़ंग जीने का आ गया है मुझे।।//

जनाब हाफ़िज़ साहब, आपकी ग़ज़ल में शेर दर शेर धीरे धीरे उतरता चला गया, अच्छी ग़ज़ल कही है. बहुत बहुत बधाई। तनिक रह को लेकर भ्रम है, क्या राह को रह कहने में कोई विशेष उद्देश्य है क्योंकि राह के साथ भी मिसरा हो सकता था। ..

राह ऐसी दिखा गया है मुझे।

मोहतरम हाफ़िज़ मसऊद साहब ..इस मुरस्सा कलाम के लिए ढेर सारी मुबारकबाद कबूल फरमाइए ..दुसरे शेर में ताकाबुले रदीफ़ का ऐब है ..नज्रेसानी करलें|

दाग़ आने लगे नज़र खुद ही ।

आईना वो दिखा गया है मुझे ।। वाह! वाह!! बहुत ख़ूब ! लाजवाब शे'र ।

                  .शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय हाफ़िज़ मसूद जी ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service