For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-100

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

              पिछले 99 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है.

             बड़े ही हर्ष की बात है कि हम इस माह "100" वें अंक में प्रवेश करने जा रहे हैं. तो साथियों इस अंक को यादगार बनाने हेतु कुछ विशेष है इसलिए कृपया ध्यान दें ...

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-100 

विषय - "दिल से ........"

(दिल से अर्थात ऐसी काव्य अभिव्यक्ति जो दिल से निकले और दिल को छूने में सक्षम हो)

आयोजन की अवधि- 09 फरवरी 2019, दिन शनिवार से 11  फरवरी 2019, दिन सोमवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि इस "100वें अंक"  हेतु तीन दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर इसबार कोई बन्धन नहीं है. 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 09 फरवरी' 2019, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Facebook

Views: 17216

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बोल में रे बल कहाँ, 
हर चाह मोले !

बात हो, अधर न बोले ! .........दो नैना मेरे तेरे दो नैना बातें कर लेंगे

                                          जो संवाद करेंगे नैना, होंठ कहाँ कर पाएंगे

आदरणीय अग्रज, बहुत ही सुंदर गीत के लिए सादर बधाई के साथ प्रणाम निवेदित है

भाई पंकज जी, आप जैसे गुण-ग्राहक से मिला अनुमोदन अत्यंत तोषदायी है। हार्दिक धन्यवाद

बात हो अधर न बोले ,,वाह्ह्ह्ह मुखड़ा ही इतना खूबसूरत है हर बंद शानदार भाव से समृद्ध इस गीत के लिए दिल से बधाई आद० सौरभ जी 

आदरणीया राजेश जी, आपको गीत-प्रस्तुति पसंद आयी, अहो भाग्य ! 

हार्दिक धन्यवाद 

हृदय की गहराई से अनुभव किये भावों को शब्द दे पाना सब के बस की बात नहीं है , वहाँ तो मौन ही रह जाना पड़ता है, यही सच है । इस सुन्दर गीत के लिए सादर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये आदरणीय सौरभ पांडेय जी।

आदरणीय टीआर सुकुल जी, 

आपसे मिला अनुमोदन आश्वस्तिकारी है। सादर धन्यवाद 

आदरणीय सौरभ पांडेय जी बहुत प्यारे गीत की बहुत सारी बधाईयाँ स्वीकार करें सादर

आपको प्रस्तुति प्यारी लगी, मेरा लिखना सार्थक हुआ। 

हार्दिक धन्यवाद 

चाहता मन खोलना 
पर है चुका-सा 
शब्द का विह्वल गहन 
रेला रुका-सा

 

कंठ हो अवरुद्ध,

मन, फिर आज रो ले !

बात हो, अधर न बोले ! ..........वाह ! भाव विव्हल करता सुंदर बंद हुआ है यह इस गीत का. सचमुच कई बातें मन की मन में ही रह जाती हैं.

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, बहुत सुंदर भावपूर्ण गीत रचा है आपने. गीत के सभी बंद दिल को छू रहे हैं.इस उत्तम प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकारें. सादर. 

आदरणीय अशोक भाईजी, आप जैसे संवेदनशील एवं उर्वर रचनाकर्मी का अनुमोदन मेरे लिए गहरे अर्थ रखता है। 

भाईजी, इस गीत से जुड़ी एक बात आपके माध्यम से इस पटल से साझा कर रहा हूँ। 

यह सन् तिरासी-चौरासी की बात है। मैं तब विद्यार्थी हुआ करता था। कहते हैं कई बुरी आदतें उसी उम्र और दौर में पड़ जाया करती हैं। तुकबन्दियाँ करने की लत पड़ चुकी थी। यह मुखड़ा तब ही आकार ले चुका था और मैं अपने बोलने के क्रम में या पारस्परिक संवादों में भी इस मुखड़े का जब-तब प्रयोग किया करता था। लेकिन यह मुखड़ा कभी गीत का आकार नहीं पा सका।

ऐसा नहीं था कि मैंने प्रयास नहीं किये थे। लेकिन कहते हैं न, जिसको जब भी होना है, वह तभी होता है।

मैं चार तारीख़ को कार्यालय और प्रोजेक्ट सम्बन्धी एक मीटिंग के सिलसिले में इण्डिया हैबिटैट सेण्टर, दिल्ली, में था। भाई गणेश जी का आयोजन को लेकर फोन आया। शीर्षक निर्णीत होना था। परस्पर यही सोचा गया कि चूँकि आयोजन का यह सौंवा अंक है, अतः जो कुछ भी लिखा जाय वही रचना मान्य हो। अर्थात, दिल से कहा हुआ कुछ भी जो विधाजन्य हो इस आयोजन की रचना होगी ! यही फिर शीर्षक के तौर पर घोषित भी हुआ। 

मैं बड़े उधेड़-बुन में था कि ऐसा क्या कहूँ, जो दिल से तो हो ही, दिल के क़रीब भी हो। अचानक, जाने कैसे यह मुखड़ा मन में कौंध गया .. बात हो, अधर न बोले.. 

रविवार, 10 फरवरी को मैं अपनी उन तमाम यादों को, उन परिस्थितियों को, सहेजता हुआ, समेटता हुआ, गीत के लिए उद्यत हुआ। अर्थात, इस मुखड़े को गीत की सूरत इस वर्ष की बसंतपंचमी को ही मिलनी थी।

आपका सादर धन्यवाद कि आपको मेरा प्रयास रोचक लगा है। आपकी संवेदनशीलता ने इस गीत को स्वीकार किया, इस हेतु पुनः हार्दिक धन्यवाद। 

शुभ-शुभ

जी ! सादर प्रणाम, बहुत उत्तम चयन. इसकारण अधिक से अधिक रचनाकार इस सौवें अंक में सहभागिता कर सके हैं. सादर आभार.

यह भी सही है। किसी आयोजन का सौंवा अंक हर लिहाज़ से उपलब्धि हुआ करता है। उस पर से ऑनलाइन आयोजन का तो कहना ही क्या ? बमुश्किल कोई ऑनलाइन आयोजन ठीक ढंग से बीस-पचीस अंक आयोजित कर पाता दिखा है।इस हिसाब से ओबीओ के दो आयोजन सैकड़ा की संख्या पार कर चुके हैं। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service