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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

              पिछले 99 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है.

             बड़े ही हर्ष की बात है कि हम इस माह "100" वें अंक में प्रवेश करने जा रहे हैं. तो साथियों इस अंक को यादगार बनाने हेतु कुछ विशेष है इसलिए कृपया ध्यान दें ...

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-100 

विषय - "दिल से ........"

(दिल से अर्थात ऐसी काव्य अभिव्यक्ति जो दिल से निकले और दिल को छूने में सक्षम हो)

आयोजन की अवधि- 09 फरवरी 2019, दिन शनिवार से 11  फरवरी 2019, दिन सोमवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि इस "100वें अंक"  हेतु तीन दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर इसबार कोई बन्धन नहीं है. 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 09 फरवरी' 2019, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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Replies to This Discussion

आदरनीय सौरभ सर, सादर नमन! मुग्धकारी गीत हुआ है। जय-जय

आदरणीय सतविन्द्र भाई, आपको गीत मुग्धकारी लगा, रचना-प्रयास सफल रहा। हार्दिक धन्यवाद 

मुहतरम जनाब सौरभ साहिब, प्रदत्त विषय पर उम्दा गीत हुआ है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

आपका सादर धन्यवाद, आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब

जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब,बहुत सुंदर गीत की सौग़ात लेकर आये हैं आप इस शताब्दी अंक के लिए,बहुत सुंदर और मोहक गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर साहब, आपसे प्रस्तुति पर ससंदर्भ टिप्पणी की अपेक्षा थी, ताकि प्रस्तुति के अन्यान्य आयाम उभर पाते। आपको रचना मोहक लगी, फिलहाल तो यही उपलब्धि है। 

सादर 

 

आदरणीय सौरभ सर सुंदर, प्रभावशील गीत हेतु बहुत बहुत बधाई ...दिल से कही गई सार्थक रचना ।

आदरणीय नादिर भाई, गीत-रचना आपकी संवेदनशीलता को संतुष्ट कर पायी ऐसा प्रतिसाद सदृश सुनना मेरे लिए भी आनन्ददायी है।हार्दिक धन्यवाद

परम आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम

चाहता मन खोलना 
पर है चुका-सा 
शब्द का विह्वल गहन 
रेला रुका-सा

 

कंठ हो अवरुद्ध,

मन, फिर आज रो ले !

बात हो, अधर न बोले ! अनुपम

आदरणीय आपकी सशक्त लेखनी से सृजित गीत के भाव दिल को छू गये आपको एवं आपकी लेखनी को दिल से सादर नमन करता हूँ

सादर

आदरणीय सत्यनारायणा भाईजी, प्रस्तुति पर आपसे मिला मुखर अनुमोदन मुझे आह्लादित कर रहा है। आपका सादर धन्यवाद। 

आदरणीय सौरभ सर, आपकी प्रस्तुति तो गजब है, लाजवाब है...अंतिम पंक्तियां और भी मर्माहत करती हैं, सादर! 

कंठ हो अवरुद्ध,

मन, फिर आज रो ले !

बात हो, अधर न बोले ! 

आदरणीय जवाहरलाल जी, आपसे मिला मुखर अनुमोदन मेरे लिए भी तोषदायी है। आपका हार्दिक आभार 

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आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
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"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
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"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
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