For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९१

२२१ २१२१ १२२१ २१२

आके तेरी निगाह की हद में मिला सुकूँ
हल्क़े को वस्ते बूद की ज़द में मिला सुकूँ //१

थी रायगाँ किसी भी मुदावे की जुस्तजू
दिल के मरज़ को दर्दे अशद में मिला सुकूँ //२

आशिक़ को अपनी जान गवाँ कर भी चैन था
जलकर अदू को पर न हसद में मिला सुकूँ //३

दामे सुख़न की अपनी हिरासत को तोड़कर
लफ़्ज़ों को ख़ामुशी की सनद में मिला सुकूँ //४

बाग़े जहाँ में जीके भी ख़ुशियाँ न थीं नसीब
इंसान को न मरके लहद में मिला सुकूँ //५

हस्ती ये जानती है बख़ूबी तहे शऊर
दिल को न आ के दामे ख़िरद में मिला सुकूँ //६

सीने को भी पता है कि औक़ाते मर्ग पे
अन्फ़ास को बक़ा-ए-अबद में मिला सुकूँ //७

नैरंगी ए नज़र में भटकता था उम्र भर
ज़ाहिद हुआ तो अपनी ही हद में मिला सुकूँ //८

ऐसा नहीं कि हुस्ने सितमगर ही ख़ुश हुआ
मुझको भी उसकी आदते बद में मिला सुकूँ //९

ख़ुश हूँ मैं 'राज़' होके फ़ना उसके प्यार में
जीकर जो मिल सका न, लहद में मिला सुकूँ //१०

~राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

हल्क़ा- परिधि, घेरा, मंडल; वस्ते बूद- अस्तित्व का मध्य; ज़द- निशाना, गोद; रायगाँ- व्यर्थ; दर्दे अशद- तीव्र पीड़ा; अदू- दुश्मन, प्रतिद्वंदी; हसद- ईर्ष्या, डाह, जलन; दामे सुख़न- शब्दों/ ध्वनि का बंधन; लहद- कब्र; तहे शऊर- चेतना की तह/ तल में; दामे खिरद- बुद्धि का पाश/ फंदा; औक़ाते मर्ग- मृत्यु के क्षण/ समय; अन्फ़ास- साँसें; बक़ा-ए-अबद- सतत मुक्ति की अवस्था; नैरंगी ए नज़र- दृष्टि में जनित माया; ज़ाहिद- संयमी, विरक्त; लहद- कब्र

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on January 19, 2019 at 12:08am

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on January 19, 2019 at 12:07am

आदरणीय भाई महेंद्र कुमार साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by राज़ नवादवी on January 19, 2019 at 12:07am

आदरणीय अजय तिवारी साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का दिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 17, 2019 at 8:47pm

आ. भाई राजनवादवी जी, अच्छी गजल हुयी है। हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on January 16, 2019 at 11:38am

बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय राज़ नवादवी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Ajay Tiwari on January 15, 2019 at 6:40pm

आदरणीय राज़ साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

Comment by राज़ नवादवी on January 15, 2019 at 12:38am

आदरणीय रवि शुक्ला साहब, आदाब. ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Ravi Shukla on January 14, 2019 at 10:36am

आदरणीय राज जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं पढ़ कर अच्छा लगा दिली बधाई पेश करता हूं

Comment by राज़ नवादवी on January 10, 2019 at 8:39pm

आदरणीय समर कबीर साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई से मेरा लिखना कामयाब हुआ. तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Samar kabeer on January 10, 2019 at 8:30pm

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service