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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आपके मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया जनाब समर साहब। निश्चित तौर पर आप का कहा दुरुस्त है।

ग़लती को ठीक करता हूँ।

वाह..//रोटियाँ खाई जब पसीने की, स्वाद नमकीन भा गया है मुझे// .. इस गंभीर अभिव्यक्ति के साथ बहुत बढ़िया प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब अजय गुप्ता साहिब।

Shukriya Janab Shaikh Usmani ji

आदरणीय अजय गुप्ता जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ बहुत बहुत बधाईयां

 शुक्रिया अमित कुमार अमित जी

आद० अजय गुप्ता जी अच्छी ग़ज़ल कही है गिरह बहुत अच्छी है दाद कुबूलें मतले में ईता दोष आ गया है देख लें 

शुक्रिया राजेश कुमारी जी निश्चित रूप से मतले में दोष है उसे दुरुस्त करने की कोशिश की जाएगी

जनाब अजय साहिब ग़ज़ल की अच्छी कोशिश है,

मुबारकबाद,,,

बहुत-बहुत आभार जनाब Afroz जी

वाह वाह आदरणीय अजय गुप्ता जी , ,  बहुत ही बढ़िया अशआर कहे हैं आपने इस ग़ज़ल में 

हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया जनाब Gurpreet जी

आदरणीय अजय गुप्ता जी, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए दिल से मुबारकबाद. सादर 

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