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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आदरणीय सुरेंद्र जी, शानदार गजल। बधाइयाँ। 

रोल, अगर अंग्रेजी वाला शब्द है तो विकल्प देखिए।

आद0 अरुण कुमार निगम जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल में शिरकत और बधाई का शुक्रिया। आपकी बात पर गौर करूँगा

//खूब मिसरा 'समर कबीर' का है
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"।।//

दोनों मिसरों में रब्त काईम नहीं हो रहा है आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी, जिसके कारण शेर भर्ती का लग रहा है, इसको छोड़ मुझे सभी अशआर बढ़िया लगें, बहुत बहुत बधाई।

आद0 गणेश जी बागी जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन का हृदय तल से आभार

आदरणीय सुरेंद्र नाथ जी अच्छे शेर कहे हैं ..दाद कबूल कीजिये|

आद0 राणा प्रताप सिंह जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और आशीष से हम धन्य हुए,, बहुत बहुत आभार आपका

अच्छी ग़ज़ल कही है अपने आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी| हार्दिक बधाई|

आद0 कल्पना जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और बधाई के लिए दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी, खूबसूरत अशआर हुए हैं. तीसरे और चौथे शेर ख़ास तौर पर अच्छे लगे.हार्दिक बधाई.

आद0 अजय तिवारी जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल के शैर आपको पसन्द आये,, ग़ज़ल कहना सार्थक हुआ। बहुत बहुत आभार आपका

ख्वाब जो भी दिखा गया है मुझे।
मुझसे ही तो मिला गया है मुझे।।१।।


हर तरह से मिटा गया है मुझे।
रंग भी अपना चढ़ा गया है मुझे।।२।।


छोड़ कर वो गया तो क्या हो गया।
आज फिर से रुला गया है मुझे।।३।।


सीख पाया न ये हुनर मैं कभी।
अपने एहसां जता गया है मुझे।।४।।


पेट भरना नहीं है आसां पर।
अश्रु पीना सिखा गया है मुझे।।५।।


छोड़ तन्हा यूं इस जमाने में।
मूकदर्शक बना गया है मुझे।।६।।


अब तो केवल मिठास बाकी है।
सब्र करना तो आ गया है मुझे।।७।।


ऐ "अमित" क्या कहूँ में उसके सितम।
इक ही पल में भुला गया है मुझे।।८।।

 "मौलिक व अप्रकाशित" 

जनाब अमित कुमार "अमित" जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,थोड़ा समय और देते तो और निखर जाती,मुबारकबाद लीजिये ।

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"आपकी सहजता और सौम्यता सम्माननीय है।"
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
" "था, बस तुम्हारा नाम था" रदीफ़ रखते हुए। 😊"
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Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मेरे प्रयास की सराहना के लिए बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
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Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सराहना और सुझाव दोनों समान रूप से स्वीकार्य है आदरणीय। स्नेहाशीष के लिए आभार।"
53 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//टीस बढ़ती ही गयी, ज्यूँ ज्यूँ दवा लेता गयाउस दवा का नाम क्या था, बस तुम्हारा नाम था// बहुत ख़ूब…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
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Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
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