For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उनकी नज़र से पीना कोई मयकशी नहीं - सलीम रज़ा रीवा

221 2121 1221 212
........
नश्शा नहीं सुरूर नहीं बे खुदी नहीं.
उनकी नज़र से पीना कोई मयकशी नहीं.
.
गुलशन में फूल तो है मगर ताज़गी नहीं.
तेरे बग़ैर ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी नहीं.
.
छूके दरिचा लौट गया मौसम-ए- बहार.
लगता  है अब नसीब मे मेरे खुशी नहीं.
.
राहे वफ़ा में ठोकरें खा कर पता चला.
मुझ में कमी है यार में कोई कमी नहीं.
.
माँ तू है मेहरबान तो है  रब भी मेह्रबाँ.
तुमसे जहां में कोई भी शय क़ीमती नहीं.

.

वो चाहे नज़्म हो या "रज़ा" कोई हो ग़ज़ल.
होती है मुझसे उनके बिना शायरी नहीं.

..............
मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on October 3, 2017 at 7:54pm
जनाब तेजवीर साहिब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,
Comment by TEJ VEER SINGH on October 3, 2017 at 7:50pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा साहब जी।बेहतरीन गज़ल।

माँ तू है मेहरबान तो है  रब भी मेह्रबाँ.
तुमसे जहां में कोई भी शय क़ीमती नहीं.

Comment by SALIM RAZA REWA on October 3, 2017 at 6:25pm
जनाब राज़ साहिब,
आपके हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया,
Comment by राज़ नवादवी on October 3, 2017 at 5:47pm

आदरणीय सलीम रज़ासाहब, ग़ज़ल की सुन्दर प्रस्तुति लिए दिली मुबारकबाद. सादर 

Comment by SALIM RAZA REWA on October 3, 2017 at 5:10pm
जनाब आरिफ साहब,
आपके हौसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया,
Comment by Afroz 'sahr' on October 3, 2017 at 4:18pm
जनाब सलीम रज़ा साहब वाह वाहहहहहहहहहहह
Comment by SALIM RAZA REWA on October 3, 2017 at 4:09pm
आली जनाब समर साहब,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया अदा करता हूं,
Comment by Samar kabeer on October 3, 2017 at 2:52pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आ. समर सर,मिसरा बदल रहा हूँ ..इसे यूँ पढ़ें .तो राह-ए-रिहाई भी क्यूँ हू-ब-हू हो "
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. समर सर...ठीक कहा आपने .. हिन्दी शब्द की मात्राएँ गिनने में अक्सर चूक जाता…"
Tuesday
Samar kabeer commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें । 'भला राह मुक्ति की…"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service