For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुद्दों में मुद्रायें (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"मैंने यह तो कहा नहीं कि शादी के बाद हम यह देश ही छोड़ देंगे! मैं तो यह कह रहा हूं कि अधिक से अधिक डॉलर जुटाने के लिए अभी से नोटों की जुगाड़ करनी चाहिए हम दोनों को!"
"सही कहा तुमने। आदर्शवादी बनने और सबका सोचने के चक्कर में न देश में मज़े कर पाये और न ही विदेश में! तुम अपने पिता से अपना हक़ मांगों और मैं दहेज़ के बजाय नक़द पैसों की बात कर लूंगी पापा से!"
अरुण के विचारों का समर्थन करते हुए मंजू ने एक बार फिर से अनुरोध करते हुए उस से कहा- "अब हमें अपनी शादी और नहीं टालनी चाहिए। इतनी क्वालिफिकेशन और अनुभव हासिल करने के बाद इस देश में अब कोई नौकरी करने की इच्छा भी नहीं होती।!"
"यही बात मैं तुमसे कहना चाहता था। मुझे वीजा मिलने ही वाला है। सादगी से शादी कर के अब विदेश में ही सेटल हो जाना बेहतर है। अब हम भी वहां दोस्तों जैसी रंगीन दुनिया बसायेंगे!"- अरुण ने मंजू को सीने से लगाते हुए कहा।
"लेकिन अरुण, उस रंगीन दुनिया में रिश्तों में हम यहां जैसे रंग भर पायेंगे या नहीं? कहीं रिश्ते रंगहीन न हो जायें!"
"मंजू, रिश्तों में रंग अब जज़्बात से नहीं, मुद्रा से भरे जाते हैं, नोट, डॉलर हो या हो पाउण्ड!" अरुण ने ठहाका लगाते हुए कहा और मंजू की सवालिया नज़रें उस पर टिकी रह गईं।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2017 at 7:04pm
रचना पटल पर उपस्थित हो कर हौसला अफज़ाई और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब शिज्जू शकूर साहब, जनाब महेंद्र कुमार साहब, आदरणीय कल्पना भट्ट जी, आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी, आदरणीय सलीम रज़ा रेवा साहब और आदरणीय समर कबीर साहब।
Comment by Samar kabeer on September 17, 2017 at 9:52pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 7:34pm

आ सुरेन्द्र नाथ जी से सहमत हूँ आदरणीय शहजाद जी | सादर |

Comment by नाथ सोनांचली on September 17, 2017 at 4:23am
आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। चुकि लगभग हर लघुकथा आपकी पड़ता हूँ, और आप बेहद उम्दा लिखते बी हैं, इसलिए आपका प्रशंशक भी हूँ, पर इस लघुकथा में मुझे उस कसावट की कमी लगी, जो दूसरी में होती है।
आपके कथानक और एक प्रश्न छोड़ती लघुकथा के लिए कोटिस बधाइयाँ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 16, 2017 at 7:04pm
जनाब उस्मानी साहब,
ख़ूबसूरत कहानी के लिए मुबारक़बाद,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 16, 2017 at 1:57pm

लघुकथा के शिल्प पर तो गुणीजन प्रकाश ़डालेंगे मेरी तरफ से इस प्रस्तुति के लिए बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service