For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन जाने क्या हुआ है धरा क्यों है भीत।

हो रहा संक्रमित कैसे मौसमों का रीत।

गुम हुए हैं घरों के खग

छिपकली हैं शेष,

क्या पता कौए गए हैं

दूर कितने देश।

कब उगेंगे वृक्ष नूतन होगी कल - कल नाद

कैसे होगी पत्थरों पर हरीतिमा की शीत।

धूप की गर्मी बढ़ी है

सूखती है दूब,

आस का पंछी तड़पता

धैर्य जाता डूब।

क्षीण होती जा रही है अब दिनोदिन छाँव

कब सुनाई देगी वो ही मौसमी संगीत।

आ धमकती सुबह से ही

गर्म किरणें रोज,

कुसुम पल्लव मुखर कब हों

कहाँ पाएँ ओज।

लौट आओ घन घनेरे हम लगाते पेड़,

आश है अब हम बचाएँ प्रकृति जाए जीत।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 24, 2017 at 9:28am
जनाब तस्दीक अहमद खान साहब एवं श्री सुरेंद्र नाथ सिंह साहब, सादर नमस्कार तथा प्रोत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार।
Comment by नाथ सोनांचली on August 24, 2017 at 5:53am
जनाब श्याम किशोर जी सादर अभिवादन,, बहुत सुंदर रचना,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
RSS
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on August 22, 2017 at 5:46pm
जनाब श्याम किशोर साहिब ,सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 22, 2017 at 3:56pm

सादर नमस्कार एवं हार्दिक आभार Mohammed Arif साहब और Mohit mishra (mukt) साहब।

Comment by Mohammed Arif on August 22, 2017 at 8:04am
आदरणीय श्याम किशोर जी आदाब, पर्यावरणीय चिंता को रेखांकित करती बेहतरीन कविता । अच्छा संदेश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by श्याम किशोर सिंह 'करीब' on August 21, 2017 at 11:51pm
बहुत आभार! सादर नमस्कार Samar kabeer साहब।
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 11:39pm
जनाब श्याम किशोर जी आदाब,बहुत सुंदर रचना,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service