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श्याम किशोर सिंह 'करीब'
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Male
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Samastipur, Bihar
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Samastipur
Profession
Teacher
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चलो कोई गुल खिलाएँ, स्नेह पथ पर पुल बनाएँ। जोड़कर बिछड़े दिलों को.. ढूँढ कुछ संभावनाएँ। राह जो जन हैं भटकते.. पालकर अभिमान मन में, उन्हें कोई पथ बताएँ.. सृष्टि को सुंदर बनाएँ।

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श्याम किशोर सिंह 'करीब''s Blog

बाढ़ / किशोर करीब

बाढ़ ने फिर बाँध तोड़े

लुट गया घरबार फिर से

 

जो संभाले थे बरस भर

टिक न पाए एक भी क्षण

देखते ही देखते सब

ढह गया कुछ बचा ना अब 

 

त्रासदी हर साल की है

क्या कहानी हाल की है?



क्यों नहीं हम जागते हैं?

व्यर्थ ही बस भागते हैं।

क्यों नहीं निस्तार करते

नदियों का विस्तार करते?



पथ कोई हो जिसमें चल के

प्राणदा खुद को संभाले।

 

हम बनाते घर सभी हैं

सोचते क्या पर कभी हैं?

नदी में…

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Posted on September 4, 2017 at 3:46pm — 3 Comments

क्वैक कवि / किशोर करीब

डिग्री धारी एक कवि ने पूछा इक बेडिग्रे से

कैसे लिखते हो कविताएँ दिखते तो बेफिक्रे से।

अलंकार रस छंद वर्तनी कैसे मैनेज करते हो

करते हो कुछ काट - चिपक या फिर अपना ही धरते हो।

पिंगल और पाणिनि को पढ़ मैं तो सोचा करता हूँ,

मात्रिक वार्णिक वर्णवृत्त मुक्तक में लोचा करता हूँ।

यति गति तुक मात्रा गण आदि सभी अंगों को ढो लाते

जरा बताओ ज्ञान कहाँ से इतने सब कुछ का पाते?

-- तब बेचारे हकबकाए क्वैक कवि ने उत्तर दिया --

भाई मैंने आज ही जाना इतने…

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Posted on August 22, 2017 at 8:25pm — 4 Comments

पर्यावरण / किशोर करीब

कौन जाने क्या हुआ है धरा क्यों है भीत।

हो रहा संक्रमित कैसे मौसमों का रीत।

गुम हुए हैं घरों के खग

छिपकली हैं शेष,

क्या पता कौए गए हैं

दूर कितने देश।

कब उगेंगे वृक्ष नूतन होगी कल - कल नाद

कैसे होगी पत्थरों पर हरीतिमा की शीत।

धूप की गर्मी बढ़ी है

सूखती है दूब,

आस का पंछी तड़पता

धैर्य जाता डूब।

क्षीण होती जा रही है अब दिनोदिन छाँव

कब सुनाई देगी वो ही मौसमी संगीत।

आ धमकती सुबह से ही

गर्म किरणें…

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Posted on August 21, 2017 at 9:54pm — 7 Comments

जिजीविषा / किशोर करीब

ये क्या है जो मुझे चलाती?

कभी मंद कभी तेज भगाती

क्या पाया क्या पाना चाहा,

हरदम मुझको याद दिलाती

विधना ने क्रंदन दुःख लिखा,

यह प्रेरित करती हर्षाती

कभी शिथिल होकर बैठा जो,

उत्प्रेरित कर मुझे जगाती

जलते जीवन में भी हँसकर,

बढ़ते जाना मुझे सिखाती…

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Posted on August 17, 2017 at 10:00pm — 6 Comments

 
 
 

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