For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-85

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 85वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब फ़िराक गोरखपुरी  साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ "

221    2121     1221     212

मफऊलु फाइलातु मुफाईलु फाइलुन

(बह्र:  मुजारे मुसम्मन अखरब मक्फूफ़ )

रदीफ़ :- कहाँ कहाँ 
काफिया :- अत (मसर्रत, कीमत, जीनत, दौलत, वहशत, दहशत आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 जुलाई दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 29 जुलाई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 जुलाई दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Facebook

Views: 11002

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

पहुँची हमारे ग़म की हिकायत कहाँ कहाँ
बरसी है आसमान से रहमत कहाँ कहाँ

फ़रमान बादशाह का जारी तो हो गया
अब देखना है होगी बग़ावत कहाँ कहाँ

आओ तलाश करते हैं मिल जुल के दोस्तो
बैठी हुई है छुप के ये नफ़रत कहाँ कहाँ

मारी है लात आपने हातिम की क़ब्र पर
मशहूर आपकी है सख़ावत कहाँ कहाँ

तूने तो झूट बोलना शैवा बना लिया
करता फिरूँगा तेरी वकालत कहाँ कहाँ

अटका हुआ है काम कई साल से मेरा
देना पड़ेगी बोलिये रिश्वत कहाँ कहाँ

कुछ आख़िरत की सोचिये,ये फ़िक्र छोड़िये
"ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ"

गौशा नशीन हूँ मैं "समर" कुछ ख़बर नहीं
फैली हुई है आपकी शुहरत कहाँ कहाँ

मौलिक/अप्रकाशित
फ़रमान बादशाह का जारी तो हो गया
अब देखना है होगी बग़ावत कहाँ कहाँ । वाह!वाह!! कमाल का प्रासंगिक शे'र है । आजकल देश का बादशाह बग़ावत ही तो देख रहा है ।
आओ तलाश करते हैं मिलजुल के दोस्तों,
बैठी हुई है छुप के ये नफ़रत कहाँ-कहाँ । बहुत ख़ूब !नफ़रत को मिटाकर मुहब्बत के बीज बोने की ज़रूरत है ।
अटका हुआ है काम कई साल से मेरा,
देना पड़ेगी बोलिये रिश्वत कहाँ-कहाँ । अच्छा तंज़ कसा है ।झूठे विकास का तानपुरा पूरे देश में सुनाई दे रहा है मगर सरकारी मशीनरी बग़ैर रिश्वत के नहीं चलती । दुष्ट नौकरशाह काम नहीं करते हैं ।
आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब आदाब, तरही मुशायरा अंक-85 का आगाज़ करने और लाजवाब ग़ज़ल की सौग़ात देने के लिए ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिए आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
आओ तलाश करते हैं मिल जुल के दोस्तो
बैठी हुई है छुप के ये नफ़रत कहाँ कहाँ
आ.भाई समर जी,इस बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने क लिए कोटि कोटि बधाई ।
जनाब लक्षण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
वाह बहुत खूब लाजबाब ग़ज़ल हुई है । रिश्वत स्त्री लिंग या पुलिंग । इसको लेकर दुविधा में था ।
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
'रिश्वत' स्त्रीलिंग है भाई ।

वाह, क्या बेहतरीन शुरुवात हुई है आयोजन की, शेर दर शेर गजब का लिखा है आपने| बहुत बहुत बधाई आ समर कबीर साहब 

जनाब विनय कुमार जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

वाह वाह आदरणीय समर कबीर जी,,, सभी के सभी अशआर कमाल के हैं इस ग़ज़ल में। ..इस बेहतरीन ग़ज़ल से मुशायरे का आगाज़ करने के लिए बहुत बहुत बधाई आपको 

जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

तूने तो झूट बोलना शैवा बना लिया
करता फिरूँगा तेरी वकालत कहाँ कहाँ-----वाह्ह्ह्ह क्या नसीहत भरा शेर 

अटका हुआ है काम कई साल से मेरा
देना पड़ेगी बोलिये रिश्वत कहाँ कहाँ-----जबरदस्त 

वैसे तो आद० समर भाई जी पूरी ग़ज़ल ही लाजबाब है किन्तु इन का तो जबाब नहीं गिरह भी क्या खूब लगाईं है 

शेर दर शैर दिल से दाद लीजिये | 

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीया प्रतिभा जी, सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए"
1 minute ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय, सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए"
3 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय, सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए"
4 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय, सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए"
5 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय, सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए"
14 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"प्रिय गिरिराज रचना को समय नहीं दे पाया उस पर मंगल लिपि की समस्या"
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"रचना की प्रशंसा के लिए  हार्दिक धन्यवाद आदरणीया"
25 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
26 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
27 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"रचना की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
37 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार। "
55 minutes ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service