आदरणीय साथिओ,
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किसने क्या कहा ये समझने के लिए दो बार पढ़ी ये कथा ...प्रश्न था ईश्वर एक साथ दयालु और सर्वशक्तिशाली कैसे हो सकता है ? अंतिम पंक्ति का औचित्य समझ में नहीं आया .. क्या आप कहना चाहते हैं कि दुखों ने माली को विक्षिप्त कर दिया था ... दार्शनिकता कुछ अधिक हो गई .. कथा कहने का ढंग अनूठा है जो आपकी ख़ास शैली बनता जा रहा है हार्दिक बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय महेंद्र कुमार जी। लघुकथा प्रदत्त विषय से पूर्ण न्याय कर रही है।बेहतरीन प्रस्तुति।
.मुहतरम जनाब महेन्द्र कुमार साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती, सुंदर लघु कथा 
के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ----
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